नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में रिव्यू पिटीशन खारिज की, सेंट्रल गर्वमेंट को बड़ी राहत

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट राफेल डील मामले में सेंट्रल गर्वमेंट को क्लीन चिट देने के उसके फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग कर रही याचिकाओं को खारिज कर दिया.कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हमें नहीं लगता कि राफेल विमान सौदा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने या बेवजह जांच का आदेश देने की जरूरत है.सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सेंट्रल गर्वमेंट को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ने सेंट्रल गर्वमेंट की दलीलों को तथ्यपरक व प्रर्याप्त मानते हुए कहा कि फिर से जांच के आदेश देने की जरुरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को राफेल खरीद प्रक्रिया और इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में सरकार द्वारा भारतीय कंपनी को फेवर किये जाने के आरोपों की जांच की गुहार लगाने वाली तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फैसले लेने की प्रक्रिया में कहीं भी कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है.सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को राफेल मामले में दाखिल रिव्यू पिटिशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण, एक्स सेंट्रल मिनिस्टर अरुण शौरी व अन्य की ओर से राफेल डील मामले में जांच की मांग की गई थी. केंद्र सरकार ने कहा कि राफेल देश की जरूरत है और याचिका खारिज करने की मांग की. सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का 14 दिसंबर 2018 का जजमेंट खारिज किया जाए और राफेल डील की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए. प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार ने कई फैक्ट सुप्रीम कोर्ट से छुपाया.रिकार्ड दिखाता है कि पीएमओ ने पैरलल बातचीत की थी और यह गलत है. यह पहली नजर में मामला संज्ञेय अपराध का बनता है और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के पुराना जजमेंट कहता है कि संज्ञेय अपराध में केस दर्ज होना चाहिए.याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था, 'जजमेंट गलत तथ्यों पर आधारित है क्योंकि सेंट्रल गर्वेंट ने सील बंद लिफाफे में गलत तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए थे. गर्वमेंट ने खुद ही कोर्ट के सामने जजमेंट के अगले दिन 15 दिसंबर 2018 को अपनी गलती सुधार कर दोबारा आवेदन दाखिल किया था. सेंट्रल गर्वेंट की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि मामले में पहली नजर में कोई संज्ञेय अपराध नहीं हुआ है.पीएमओ ने कोई पैररल निगोशियेशन नहीं किया था.मामले में याचिकाकर्ता लीक हुए दस्तावेज के आधार पर रिव्यू पिटिशन दाखिल कर रखी है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी कीमत नहीं जानना चाहा है.सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा है.हमने कोर्ट के सामने प्रक्रिया बताई थी. सीएजी की रिपोर्ट के बारे में जो बयान केंद्र सरकार ने दिया था उसे ठीक करने के लिए अगले दिन अर्जी दाखिल कर दी थी जो पेंडिंग है. इस प्रक्रिया में अगर कोई गलती हुई तो भी इस आधार पर रिव्यू नहीं हो सकता. मोदी गर्वमेंट के भरोसे पर मुहर लगी, माफी मांगें सवाल उठाने वाले: अमित शाह नई दिल्ली: सेंट्रल होम मिनिस्टर व बीजेपी प्रसिडेंट अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लोगों के लिए जोरदार जवाब है, जो आधारहीन और द्वेषपूर्ण प्रचार में जुटे थे.ऐसे लोगों को माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने राष्ट्र हित से ऊपर अपनी निजी राजनीति को रखने का काम किया था. उन्होंने कहा कि इस फैसले ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार के पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होने पर मुहर लगाई है. ठेका नहीं मिला तो बाधा डाल रही थी कांग्रेस: रविशंकर सेंट्रल मिनिस्टर व सीनीयर बीजेपी लीडर रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि कांग्रेस के राफेल विरोध के पीछे सोची-समझी साजिश थी.अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कांग्रेस की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट में कॉन्ट्रैक्ट लेने का कांग्रेस का इतिहास रहा है. जो लोग कॉन्ट्रैक्ट में सफल नहीं हुए, उन्होंने कोशिश की थी कि इसे भी लेट कराओ.