रांची: हाईकोर्ट ने शिबू सोरेन के PS शशिनाथ झा मर्डर केस में सीबीआइ से मांगा जबाव, हबीबुल्लाह ने कहा भाई की थी कंकाल

रांची: जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के पीएस रहे शशिनाथ झा मर्डर केस में नया मोड़ आ गया है. रांची पिस्का नगड़ी के रहने वाले हबीबुल्लाह अंसारी ने वर्ष 1998 में सीबीआइ द्वारा बरामद कंकाल को अपने भाई मोहम्मद अलीम का होने का दावा करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. जस्टिस एके गुप्ता की कोर्ट  ने याचिका पर सुनवाई के बाद सीबीआइ से जवाब मांगा है.
कोर्ट ने सीबीआइ से पूछा है कि बरामद कंकाल व सामान सुरक्षित है या नहीं. अगर कंकाल का निस्तारण नहीं किया गया है तो मामले की सुनवाई तक उसे सुरक्षित रखा जाये. हबीबुल्लाह अंसारी ने इस संबंध में वर्ष 2018 में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि वर्ष 1998 में सीबीआइ ने शशिनाथ झा मामले में पिस्का बगान से जिस कंकाल को जमीन से निकाला था, वह उनके भाई मोहम्मद अलीम का था.खुदाई के दौरान कंकाल में सिल्वर कलर का नकली दांत, टोपी, बेल्ट और हाथ में कड़ा मिला था. हबीबुल्लाह ने इसके आधार पर कंकाल की पहचान अपने भाई के रूप में की थी. गांव वालों ने उस दौरान सीबीआइ को एक आवेदन दिया, जिसमें कहा कि यह कंकाल मोहम्मद अलीम का है, इसलिए उन्हें सौंप दिया जाए, लेकिन सीबीआइ ने उनकी बात नहीं सुनी.
प्रार्थी के अधिवक्ता जेजे सांगा ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि सीबीआइ उस कंकाल की पहचान शशिनाथ झा के रूप में करने में विफल रही. शशिनाथ झा के भाई अमरनाथ झा व उनकी मां प्रियंवदा झा ने दिल्ली की लओर कोर्ट में गवाही के दौरान इस कंकाल को शशिनाथ झा का मानने से इन्कार कर दिया. इससे ऐसा प्रतीत होता है उक्त कंकाल उनके भाई अलीम का है.इसलिए कंकाल व बरामद सामान को उन्हें वापस कर दिया जाए ताकि वो धार्मिक रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कर सकें. हबीबुल्लाह की ओर से मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच करने की भी गुहार लगायी गयी है. कोर्ट ने सीबीआइ को 19 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. एडवोकेट  ने बताया कि हबीबुल्लाह अंसारी की ओर से दाखिल याचिका में फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट व दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है. फॉरेंसिक जांच में भी उक्त कंकाल को शशिनाथ झा का होने से इन्कार किया गया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस रिपोर्ट को सही मानते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया.

क्या है मामला
शिबू सोरेन के पीएस शशिनाथ झा दिल्ली ऑफिस से वर्ष 1994 की 22 मई को घर के लिए निकले थे. वह  घर नहीं पहुंचे. अमरनाथ झा ने अपने भाई शशिनाथ झा के लापता मामले में वर्ष 1994 की 25 मई को पुलिस स्टेशन में में आवेदन दिया. आरोप है कि पुलिस एफआइआर दर्ज की लेकिन जांच सही तरीके से नहीं की. शशिनाथ झा की मां प्रियंवदा झा ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच की मांग की. हाइकोर्ट ने सुनवाई के बाद वर्ष 1996 की 16 अक्टूबर को सीबीआइ जांच का आदेश दिया था.