पाकिस्तान कंगाली का कागार पर, छिन सकता है GSP का स्टेटस

यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने पाकिस्तान से जनरलाइज्ड सिस्टम प्रीफेंस का दर्जा छीनने की मांग की नई दिल्ली:यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स (EICC) ने यूरोपीयन कमिशन के ईयू कमिश्नर फॉर ट्रेड को चिट्ठी लिखकर मांग किया है कि पाकिस्तान से जनरलाइज्ड सिस्टम प्रीफेंस (जीएसपी) प्लस स्टेट्स वापस लिया जाना चाहिए.कांगाली की ओर से बढ़ रहे पाकिस्तान को यह बड़ा झटका लगने वाला है.fATF पहले ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल चुका है. आर्थिक मंदी से पाक कंगाल पाकिस्तान पहले से ही मंदी की मार झेल रहा है.अब ऐसे में यदि पाकिस्तान से जीपीएस का स्टेटस छीन जायेगा तो उसके लिए काफी दिक्कत हो जायेगी.जीएसपी के तहत यूरोपीयों देशों में आयात के लिए शुल्क नहीं लगाया जाता है.ईआईसीसी ने पाकिस्तान कमिश्नर के लिखे लेटर में कहा है कि पाकिस्तान में सिखों,हिंदुओं और ईसाइयों का धार्मिक उत्पीड़न किया जाता है.ईआईसीसी द्वारा 12 सितंबर को लिखे लेटर में अल्पसंख्यक समुदायों से लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन से संबंधित मामलों पर भी डिटेल प्रकाश डाला गया है. जबरन कराया जाता है धर्म परिवर्तन लेटर में लिखा गया कि पाकिस्तानी ईसाइयों, सिखों और हिंदुओं के खिलाफ व्यवस्थित नरसंहार में लिप्त है.अल्पसंख्यकों ने पाकिस्तान में ऐतिहासिक और वर्तमान धार्मिक उत्पीड़न और व्यवस्थित हिंसा का अनुभव किया है.वहां जबरन धर्मांतरण किया जाता है.पत्र के अनुसार धार्मिक उत्पीडन नरसंहार, विध्वंस और चर्चों और मंदिरों की तबाही और शिक्षा केंद्रों को ध्वस्त किया गया है. पाकिस्तानी ईसाई,हिंदू और सिख अदालतों के सामने शक्तिहीन हैं,क्योंकि वहां अपराधियों को मदरसों से झूठी उम्र और शादी के प्रमाण पत्र मिलते हैं और अदालतें दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं करती हैं.ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक न केवल उग्रवाद के लिए आसान टारगेट हैं साथ ही देश में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक बहिष्कार का शिकार भी हैं.ईआईसी ने कहा कि कोई भी देश जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ धार्मिक हिंसा की गतिविधियों में लिप्त हैं उन्हें यूरोपीय संघ से कोई विशेष व्यापार विशेषाधिकार प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है.पाकिस्तान को अल्पसंख्यक समुदायों के समान अधिकार सुनिश्चित करने के अपने वादे को तोड़ने के लिए भी लताड़ा गया है. ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद उप-समिति (DROI) की नौ सितंबर कोएक बैठक के दौरान जीएसपी को पाकिस्तान में वापस लेने की मांग यूरोपीय संसद (MEPs) के सदस्यों द्वारा उठाया गया था.पूर्व में यूरोपीय संघ ने मानव अधिकारों के उल्लंघन में शामिल देश,जैसे श्रीलंका (अब बहाल) के साथ व्यापार विशेषाधिकार निलंबित कर दिया था.यूरोपीय संघ ने उन उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित किया है जिनका उत्पादन संघर्ष के मामले में मानवाधिकारों से संबंधित है.