नई दिल्ली: युवराज ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया

  • 2011 वर्ल्ड कप में युवराज ने 90.50 के एवरेज से 362 रन बनाये और 15 विकेट लिये
  • 2007 टी-20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में 6 सिक्स मारे
नई दिल्ली: टीम इंडिया के चैंपियन ऑलराउंडर युवराज सिंह ने सोमवार को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया. इंडिया को 2011 का वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज ने प्रेस कांफ्रेस में अपने सन्यास का एलान किया. युवराज 2011 के वर्ल्ड कप में 9 मैच में 90.50 के एवरेज से 362 रन और 15 विकेट लिये. वह उस वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द सीरीज भी चुने गये थे.युवराज 2011 वर्ल्ड कप के दौरान कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. युवराज ने किसी को इस बात का पता नहीं चलने दिया. डॉक्टरों ने युवराज को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल से पहले उनको नहीं खेलने की सलाह दी थी. बावजूद युवराज न सिर्फ मैदान में उतरे, बल्कि इंडियाकी जीत के हीरो भी रहे. युवराज ने नेउस मैच में 57 रन की पारी खेली थी. मेरे लिए सपने की तरह था वर्ल्ड कप जीतना युवराज ने संन्यास का ऐलान करते हुए कहा कि‘मैं बचपन से ही अपने पिता के नक्शेकदम पर चला और देश के लिए खेलने के उनके सपने का पीछा किया. मेरे फैन्स जिन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया, मैं उनका शुक्रिया अदा नहीं कर सकता. मेरे लिए 2011 वर्ल्ड कप जीतना, मैन ऑफ द सीरीज मिलना सपने की तरह था. इसके बाद मुझे कैंसर हो गया. यह आसमान से जमीन पर आने जैसा था. उस वक्त मेरा परिवार, मेरे फैन्स मेरे साथ थे. युवराज ने कहा कि एक क्रिकेटर के तौर पर सफर शुरू करते वक्त मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी भारत के लिए खेलूंगा.मैने लाहौर में 2004 में पहला सेंचुरी लगाया था. टी-20 वर्ल्ड कप मेंछह बॉल में ठह सिक्स लगाना भी यादगार था. 2014 में टी-20 फाइनल मेरे जीवन का सबसे खराब मैच था. तब मैंने सोच लिया था कि मेरा क्रिकेट करियर खत्म हो गया है. तब मैं थोड़ा रुका और सोचा कि क्रिकेट खेलना शुरू क्यों किया था.डेढ़ साल बाद मैंने टी-20 में वापसी की. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी ओवर में सिक्स लगाया. मैने तीन साल बाद वनडे में वापसी की.मैने 2017 में कटक में 150 रन बनाये जो मेरे करियर का सबसे बड़ा वनडे स्कोर है. मैंने हमेशा खुद पर भरोसा रखा. कोई मायने नहीं रखता कि दुनिया क्या कहती है. युवराज ने संन्यास के फैसले पर युवराज ने कि सफलता भी नहीं मिल रही थी और मौके भी नहीं मिल रहे थे. 2000 में करियर शुरू हुआ था और 19 साल हो गए थे। उलझन थी कि करियर कैसे खत्म करना है. सोचा कि पिछला टी-20 जो जीते हैं, उसके साथ खत्म करता तो अच्छा होता, लेकिन सबकुछ सोचा हुआ नहीं होता. जीवन में एक वक्त आता है कि वह तय कर लेता है कि अब किधर जाना है.उन्होंने कहा कि मेरे करियर का सबसे बड़ा लम्हा 2011 वर्ल्ड कप जीतना था. जब मैंने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाये थे, तब वह करियर का बड़ा मोड़ था. इसके बाद कई मैच में फेल हुआ, लेकिन बार-बार मौके मिले. मैंने कभी 10 हजार रन बनाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन वर्ल्ड कप जीतना खास था. मैन ऑफ द सीरीज रहना, 10 हजार रन बनाना, इससे ज्यादा खास था वर्ल्ड कप जीतना. यह केवल मेरा नहीं, बल्कि पूरी टीम का सपना था. मैं 2 साल से संन्यास पर मां और पत्नी से बात कर रहा था. पिता ने कहा कि जब कपिल देव को वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया होगा, तो उन्होंने क्या सोचा होगा, लेकिन जब तुमने वर्ल्ड कप जीता था, तब वे कितने खुश हुए होंगे. मेरे पिता को मेरे संन्यास लेने के फैसले पर कोई परेशानी नहीं हुई. 17 इंटरनेशनल सेंचुरी युवराज ने 40 टेस्ट की 62 पारियों में 33.92 के औसत से 1900 रन बनाये हैं. इसमें तीन सेंचुरी और 11 हाफ सेंचरी भी है. उन्होंने 304 वनडे की 278 पारियों में 36.55 के एवरेज से 8701 रन बनाये. उन्होंने वनडे इंटरनेशनल में 14 सेंचुरी और 52 हाफ सेंचुरी बनाये हैं. युवराज ने 58 टी-20 इंटरनेशनल भी खेले, जिसमें 28.02 के एवरेज से 1177 रन बनाये. युवराज ने टेस्ट में नौ, वनडे में 111 और टी-20 इंटरनेशनल में 28 विकेट भी लिये हैं. संन्यास के ऑफिसियल ऐलान से ठीक पहले युवी ने विडियो संदेश जारी किया युवराज ने अपने संन्यास को 'स्टेपिंग आउट' नाम देने वाले युवी ने इस विडियो के जरिए अपने पूरे क्रिकेट सफर को याद कियाव वीडीओ में युवराज ने अपने करियर के तीन सबसे खास लम्हे भी बताये. इस विडियो में युवराज के साथ उनके पिता जोगराज सिंह और मां भी दिखीं. विडियो मेसेज की शुरुआत में युवराज अपने पिता के साथ दिखते हैं. योगराज उन्हें सभी उन जगहों पर लेकर जाते हैं जहां से युवराज का सफर शुरू हुआ. उनका स्कूल और क्रिकेट ग्राउंड जहां से युवी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया. तीन खास लम्हे युवराज ने विडियो में अपने क्रिकेट करियर के तीन सबसे खास लम्हे भी बताए। इसमें 2011 का वर्ल्ड कप जीतना, छह छक्के लगाना और पहली टेस्ट सेंचुरी लगाना शामिल रह.। युवी ने वानखेड़े स्टेडियम को अपने करियर में सबसे खास बताया. कैंसर से कभी नहीं हारा युवराज वीडीओ में बताते हैं कि कैंसर से उन्होंने कभी हार नहीं मानी.उनके मन में कभी ऐसा ख्याल नहीं आया कि कोई बीमारी उन्हें हरा सकती है. उस दौरान युवी की मां ने ही उन्हें संभाला और दिलासा दिया. युवराज ने बताया कि मां, बाप के अलावा उन्हें गुरु बाबा राम सिंह उनकी जिंदगी में सबसे अहम हैं. मां हमेशा साथ रहीं विडियो में युवी ने बताया कि उनकी मां हमेशा सपॉर्ट में खड़ी रही. युवी बताते हैं कि मां कभी उनका मैच नहीं देखती थी क्योंकि उन्हें लगता था कि वह जब भी उनका मैच देखती थी तो वह आउट हो जाते थे.