नई दिल्ली: एक्स सेंट्रल मिनिस्टर रामेश्वर उरांव बने Jharkhand Congress के प्रसिडेंट,पांच वर्किंग प्रसिडेंट भी बनाये गये

रांची: एक्स सेंट्रल मिनिस्टर, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्‍यक्ष व एक्स आइपीएस अफसर रामेश्वर उरांव को झारखंड कांग्रेस का प्रसिडेंट बनाया गया है.झारखंड कांग्रेस में पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाये् गये हैं. जामताड़ा एमएलए इरफान अंसारी, सिल्ली के एक्स एमएलए केशव महतो कमलेश के अलावा राजेश ठाकुर, मानस सिन्हा व संजय पासवान को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. एआइसीसी जेनरल सेकरेटरी केसी वेणुगोपाल ने सोमवार को नई दिल्ली में झारखंड कांग्रेस में अध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्षों की लिस्ट जारी की. एक्स आइपीएस अफसर रामेश्वर  उरांव लोहरदगा के एमपी भी रह चुके हैं.उनकी पत्नी रागिनी मिंज सिविल सर्जन रह चुकी हैंडा अजय के कुमार के त्यागपत्र देने के बाद से झारखंड कांग्रेस का अध्यक्ष पद खाली था. कांग्रेस ने झारखंड में राजनीति के लिए आदिवासी मुस्लिम का कंबिनेशन बनाया है. झारखंड में अभी कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम हैं. पार्टी ने समीकरणों का ख्याल करते हुए आदिवासी चहरे को राज्य में प्रसिडेंट की जिम्मेवारी दी है.राज्य में कांग्रेस के पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी होंगे. कांग्रेस यह फॉर्मूला महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी पार्टी आजमा चुकी है और फिर अब झारखंड में इसे लागू किया गया है. पांचों कार्यकारी अध्यक्ष का पार्टी के साथ काम करने का लंबा अनुभव है. केशव महतो कमलेश: सिल्ली के एमएलए भी रह चुके हैं.एकीकृत बिहार में स्टेट गर्वमेंट में मिनिस्टर थे. कुर्मी वोटरों पर पकड़. डॉ. इरफान अंसारी : एक्स मिनिस्टर व एक्स एमपी फुरकान अंसारी के बेटे अभी जामताड़ा से एमएलए हैं.अपनी बात मुखर तरीके से रखते हैं. राजेश ठाकुर: नई दिल्ली में एनएसयूआइ के महासचिव से लेकर दिल्ली युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष तक रहे. झारखंड में राज्यपाल के ओएसडी रहे. सामाजिक संस्थाओं से गहरा जुड़ाव. पार्टी के स्टेट सेकरेटरी व जेनरल सेकरेटरी रहे हैं. अभी झारखंड कांग्रेस के मीडिया प्रभारी हैं. मानस सिन्हा : मानस सिन्हा झारखंड प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं. इन्हें सुबोधकांत सहाय का करीबी माना जाता है. संजय पासवान : कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ के अध्यक्ष रह चुके हैं. चतरा क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय भी रहे हैं. डॉ. रामेश्वर उरांव मनमोहन सिंह गर्वमेंट में आदिवासी कल्याण मिनिस्टर रह चुके हैं. पलामू के चियांकी गांव में 14 फरवरी 1947 को जन्मे रामेश्वर उरांव ने 1972 में यूीपीएस की परीक्षा पास कर आइपीएस बने.आइपीएस बनने से पहले वह रांची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. एकीकृत बिहार में रामेश्वर उरांव कई जिले में एसपी रहे हैं. उन्होंने डीआइजी व आइजी के रुप में भी बेहतर काम किया है. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद डा उरांव आइपीएस की नौकरी से वीआरएस देकर  कांग्रेस में शामिल हो गये. पार्टी ने उन्हें लोहरदगा लोकसभा सीट से कैंडिडेट बनाया और वह चुनाव जीत गये. डा उरांव  वर्ष 2008 में सात अप्रैल, 2008 को मनमोहन सिंह की कैबिनेट में आदिवासी मामलों के मंत्री बने.मनमोहन सिंह गर्वमेंट के दूसरे कार्यकाल में डा उरांव अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन भी रहे हैं. डा उरांव को लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2009 वर्ष 2014 में बीजेपी के सुदर्शन भगत से हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2019 की चुनाव में रामेश्वर उरांव की जगह पार्टी ने सुखदे‍व भगत को लोहरदगा से उतारा था. सुखदेव भगत भी बीजेपी के सुदर्शन भगत से पराजित हो गये.