नई दिल्ली: तीन तलाक बिल राज्यसभा से भी पास, पक्ष में 99 व विपक्ष में 84 वोट पड़े

  • उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक हुआ पास
  • बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी समेत कई दलों ने वोटिंग में नहीं लिया हिस्सा
नई दिल्ली: मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक मंगलवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 99 वोट व विपक्ष में 84 वोट पड़े. बीएसपी, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस तरह सरकार इस बिल को आसानी से पास करा ली. अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक तीन तलाक को लेकर 21 फरवरी को जारी किए गए मौजूदा अध्यादेश की जगह ले लेगा.इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी राज्यसभा में 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया. तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, टीआरएस, बीएसपी और पीडीपी जैसे कई दलों ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया. 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं. इसके घटक दलों यानी एनडीए को मिलाकर 117 सीटें हैं. जेडीयू के बिल पर बाहर होने से यह आंकड़ा 111 हो गया.बीजेडी ने भी इस बिल पर भाजपा को समर्थन दिया. बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था लेकिन बड़ी संख्या में अनुपस्थिति की वजह से सदन में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई. वोटिंग आम आदमी पार्टी के तीनों सांसदों ने भी बिल के खिलाफ वोटिंग की. बीजेडी का राज्यसभा में सात सीटें हैं. इससे जदयू के जाने से भाजपा को कोई दिक्कत नहीं हुई. एआईएडीएमके के पास 11 और टीआरएस के पास 6 सीटें हैं. जेडीयू के 6, बीएसपी के 4 और पीडीपी के 2 एमपी हैं. NDA की सहयोगी जेडीयू ने तीन तलाक बिल का विरोध किया. इससे NDA की स्ट्रेंथ 113 से घटकर 107 पर आ गई. राज्यसभा में तीन सीट खाली रहने के कारण कुल स्ट्रेंथ 242 है. जेडीयू वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रही. तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) ने भी वोटिंग से दूर रहने का फैसला किया. इससे राज्यसभा सदस्यों की कुल संख्या 236 पर आ गई. राज्यसभा में कम से कम 14 मेंबर बीजेपी के अरुण जेटली, कांग्रेस के ऑस्कर फर्नांडीज और NCP के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल अनुपस्थित थे.इससे राज्यसभा की प्रभावी स्ट्रेंथ 216 रह गई. सरकार को तीन तलाक बिल पास कराने के लिए केवल 109 मेंबर की जरुरत थी. बीजू जनता दल ने तीन तलाक बिल पर समर्थन देने की घोषणा कर दी. इससे इस बिल पर NDA की स्ट्रेंथ राज्यसभा में बढ़कर 113 सांसदों की हो गई. AIADMK ने काफी बाद में वॉकआउट करने का फैसला किया, जो सरकार के पक्ष में गया। आपको बता दें कि AIADMK के राज्यसभा में 11 सांसद हैं। इस समय राज्यसभा में सद हैं। ये सभी सांसद वोटिंग के वक्त राज्यसभा में मौजूद नहीं थे। इसके अलावा एसपी के भी कुछ सांसद वोटिंग में शामिल नहीं हुए। यह बिल लोकसभा में पहले ही पास हो गया था. इस दौरान बिल पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित अन्य पार्टियों ने वॉकआउट किया था, जिसके बाद यह बिल ध्वनिमत से पारित हुआ था. बिल को पेश करते समय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस प्रथा को कई इस्लामिक देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद अब-तक ऐसा नहीं किया है. यह बिल जो मुस्लिम समुदाय के बीच तत्काल तलाक की प्रथा को अपराधी बनाता है,लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था. इस बिल में तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान है. यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है. इसके अलावा बिल में तीन साल तक की सजा का प्रावधान है. आरोपी को मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जायेगा,पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है. पीड़ित महिला पति से गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि हजारों साल पहले पैगंबर ने भी इस पर सख्ती से पाबंदी लगाई थी और उनके जिस बंदे ने ऐसा किया, उससे कहा कि वह अपनी पत्नी को वापस ले. यहां भी लोग कह रहे हैं कि तीन तलाक गलत है, लेकिन.... आखिर यह लेकिन क्या है, इसका मतलब यह है कि तीन तलाक गलत है, लेकिन सब कुछ ऐसे ही चलने दो. हिंदू मैरिज ऐक्ट समेत कई कानूनों का जिक्र करते रविशंकर ने कहा कि 1955 में जब बना तो यह रखा गया कि पति की उम्र 21 साल और पत्नी की 18 वर्ष होनी चाहिए. इसके उल्लंघन पर दो साल की सजा का प्रावधान किया गया. यदि पत्नी के रहते हुए पति ने दूसरी शादी की या फिर पत्नी ने दूसरा पति कर लिया तो 7 साल की सजा होगी. 55 साल पहले कांग्रेस ने यह किया था और हम इस अच्छे काम के साथ हैं. रविशंकर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 1961 में दहेज के खिलाफ कानून लाने का काम किया था. दहेज लेने पर 5 साल की सजा है और मांगने पर 2 साल की सजा है. 1986 में इसे गैरजमानती अपराध करार दिया गया.उसमें तो नहीं सोचा कि परिवार कैसे चलेगा. यह कानून धर्म की सीमाओं से परे है और सभी पर लागू होता है. उन्होंने कहा कि आईपीसी में आप 498A लाए, जिसमें पति की क्रूरता पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया. यह कानून 1983 में लाया गाया. इन सभी के लिए आपका अभिनंदन है. इतने प्रगतिशील काम करने वाली आपकी सरकार के कदम 1986 में शाहबानो केस में क्यों हिलने लगे. यह बड़ा सवाल है. रविशंकर प्रसाद ने शाहबानो प्रकरण की याद दिलाते हुए कहा कि 1986 में दो दिन तक आरिफ मोहम्मद खान का भाषण हुआ था. इतनी हिम्मती कांग्रेस सरकार आखिर दहेज उत्पीड़न के अपराध को गैरजमानती बनाती है और शाहबानो पर पीछे हट गई. 1986 में शाहबानो से लेकर 2019 में सायराबानो तक कांग्रेस आज जस की तस खड़ी है. 1986 में आपकी 400 सीटें आई थीं, उसके बाद 9 लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन आप तबसे गिरते ही चले गये. 1986 में शाहबाने के बाद से कांग्रेस गिरती ही चली गई, यह आपके लिए सोचने की बात है. इतिहास के कूड़ेदान में फेंकी गई एक कुप्रथा: पीएम तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर इसे लोकतंत्र के लिए महान दिन करार दिया है नई दिल्ली: राज्यसभा से तीन तलााक बिल पास होने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे लैंगिक न्याय और समानता की जीत करार दिया है. पीएम मोदी ने एक के बाद एक किये गये अपने कई ट्वीट्स में कहा कि राज्यसभा से बिल को मंजूरी मिलने के साथ ही एक मध्यकालीन कुप्रथा को इतिहास के कूड़ेदान फेंक दिया गया है. उन्होंने लिखा, 'तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया. मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है. पीएम ने कहा कि हमने इस बिल को पारित करने के साथ ही इतिहास की गलतियों को सुधारा है. उन्होंने कहा कि आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है. सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है. उन्होंने इस बिल का समर्थन करने वाले बीजेपी समेत अन्य दलों के सांसदों के समर्थन के लिए आभार व्यक्ति किया. लोकतंत्र के लिए महान दिन: अमित शाह राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर इसे लोकतंत्र के लिए महान दिन करार दिया है. उन्होंने कहा कि मैं पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं. उन्होंने तीन तलाक को बैन करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई. इससे महिलाओं को एक कुप्रथा से आजादी मिलेगी. इस ऐतिहासिक बिल का समर्थन करने वाले सभी दलों का मैं आभार प्रकट करता हूं.' समाज सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम: सीएम रघुवर दास झारखंड के सीएम रघुवर दास ने आज ट्रिपल तलाक़ विधेयक राज्यसभा से पारित कर दिये जाने को भारत के समाज सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया है.उन्होंने कहा है कि ट्रिपल तलाक की पीड़ा झेल रही मुस्लिम बहनों को अब न्याय और सम्मान की जिंदगी जीने का हक मिलेगा. सीएम ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कोटि-कोटि धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास-यही हमारा मूल मंत्र है.