नई दिल्ली: लोकसभा ने एनआईए संशोधन विधेयक 2019 पास, विरोध में मात्र 6 मत पड़े

  • अब NIA साइबर क्राइम और मानव तस्करी की भी जांच करेगा
  • गृह मंत्री ने कहा आतंक के खिलाफ इस्तेमाल होगा
  • किस धर्म के व्यक्ति ने किया, यह भी नहीं देखेंगे
नई दिल्ली: एनआईए संशोधन विधेयक 2019 को लोकसभा ने सोमवार को मंजूदी दे दी. इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को इंडिया से बाहर किसी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का रजिस्टर्ड करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि आज जब देश और दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है. इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान होम मिनिस्टर अमित शाह व एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक हुई। होम मिनिस्टर ने विपक्ष की आशंका को जवाब देते हुए शाह ने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए किया जायेगा. यह भी नहीं देखा जायेगा कि यह किस धर्म के व्यक्ति ने किया है. सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म, जाति और क्षेत्र नहीं होता. यह मानवता के खिलाफ है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की जिम्मवारी सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की है. कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान दक्षिणपंथी आतंक और धर्म का मुद्दा उठाए जाने के संदर्भ में रेड्डी ने कहा कि सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती है. सरकार को देश की 130 करोड़ जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है, जिसे चौकीदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है. देश की सुरक्षा के लिए सरकार आगे रहेगी. सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की जिम्मेदारी हाथ में लेगी. एनआईए को शक्तिशाली एजेंसी बनाया जायेगा. लोकसभा ने विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इससे पहले विधेयक को विचार करने के लिए सदन में रखे जाने के मुद्दे पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मत-विभाजन की मांग की. 278 के मुकाबले विरोध में मात्र 6 वोट गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस पर मत-विभाजन जरूर होना चाहिए. हम भी इसकी मांग करते हैं ताकि पता चल जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन नहीं. सदन ने मत विभाजन में 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित कर दिया. गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है. उन्होंने कहा कि आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है, देश में ऐसे उदाहरण हैं जब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आतंकवाद के शिकार हुए हैं.आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है. ऐसे में हम एनआईए को सशक्त बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए कोर्ट में जजों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं. कई बार जज का तबादला हो जाता है, प्रमोशन हो जाता है तब अधिसूचना जारी करनी पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं. गृह राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि एनआईए अदालत के जजों की नियुक्ति संबंधित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ही करते रहेंगे, जिस तरह अभी प्रक्रिया चल रही है. आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी. दोनों में तालमेल रहेगा. उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर करने या नहीं करने के सवाल पर कहा कि पुलवामा और बालाकोट हमलों के बाद भारत ने बता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ जांच कैसे होती है. रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस के समय ही एनआईए कानून में कई कानूनों को जोड़ा गया था लेकिन उस समय इस पर ठीक से काम नहीं हुआ और हम संशोधन लेकर इसे उन्नत बना रहे .। उन्होंने बताया कि एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की. इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोष सिद्ध किया जा सका. 99 मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसंपत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो. उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा एक की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिए है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के खिलाफ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं. अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के जांच के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि देश के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है. इसमें भारत से बाहर किसी गंभीर अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. एनआईए बिल पर संसद में शाह व ओवैसी में नोकझोंक एनआइए विधेयक पर गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की शंका का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की इस कानून के दुरुपयोग की कोई मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए किया जायेगा, मगर इस दौरान यह भी कतई नहीं देखा जायेगा कि यह किस धर्म के व्यक्ति ने किया . गृहमंत्री ने विपक्षी सांसदों के सवालों पर कहा कि पोटा कानून को दुरुपयोग के कारण नहीं, बल्कि वोट बैंक के कारण खत्म किया गया था. बहस के दौरान शाह और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक भी हुई. ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो डराइए मत, जिस पर शाह ने कहा कि वह डरा नहीं रहे हैं, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है. इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने कहा कि हैदराबाद के एक पुलिस चीफ को एक लीडर ने एक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था और कहा कि वह कार्रवाई आगे बढ़ाते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो जायेगी. इस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि बीजेपी सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं. क्या बीजेपी सदस्य इसके सबूत सदन के पटल पर रख सकते हैं? गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कहा कि जब डीएमके सदस्य ए राजा बोल रहे थे तो ओवैसी ने क्यों नहीं टोका? वह बीजेपी के सदस्य को क्यों टोक रहे हैं? अलग अलग मापदंड नहीं होना चाहिए. इस पर ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो मुझे डराइए मत, मैं डरने वाला नहीं हूं. शाह ने ओवैसी को जवाब देते हुए कहा कि किसी डराया नहीं जा रहा है, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है.