नई दिल्ली: इंडिया अब अंतरिक्ष में खुद का space station बनायेगा

  • इसरो चीफ ने कहा यह गगनयान मिशन का एक्सटेंशन होगा
  • ह्यूमन मिशन के बाद भी गगनयान प्रोग्राम को बनाये रखना होगा
  • स्पेस स्टेशन को बनाने में किसी अन्य देश की मदद नहीं ली जायेगी
  • भारत की कोशिश है कि यह प्रॉजेक्ट 2030 तक पूरा होगा
नई दिल्ली: इसरो प्रमुख डॉ. के सिवन ने कहा है कि भारत अब अंतरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन बनायेगा. भारत अब अपना स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की तैयारी में है. इसरो का यह मेगा प्रोजेक्ट गगनयान मिशन का ही विस्तार होगा. यह भारतीय इतिहास के सबसे ज्यादा महत्वकांक्षी प्रॉजेक्ट्स में से एक होगा. सिवन ने कहा कि हमें मानव अंतरिक्ष मिशन के लॉन्च के बाद गगनयान कार्यक्रम को बनाए रखना होगा. इसी के चलते भारत अपना स्पेस स्टेशन तैयार करने की योजना बना रहा है. भारत ने इस प्रॉजेक्ट के लिए 2030 तक की डेट फिक्स की है. 20 टन के स्पेस स्टेशन के जरिए भारत माइक्रोग्रैविटी से जुड़े प्रयोग कर पायेगा. इस स्पेस सेंटर को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारत के अंतरिक्ष यात्री 15-20 दिन अंतरिक्ष में गुजार सकें. दिल्ली में मीडिया से बातचीत में सिवन ने कहा कि 'ह्यूमन स्पेस मिशन के लॉन्च होने के बाद हमें गगनयान प्रोग्राम को बनाये रखना है. ऐसे में भारत अंतरिक्ष में खुद का स्पेस सेंटर बनाने की तैयारी कर रहा है.' सरकार ने पहले ही गगनयान मिशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है. 2022 में मानव सहित यान को अंतरिक्ष में भेजने से पहले 2 मानव रहित यान अंतरिक्ष में भेजे जायेंगे. भारत इस प्रॉजेक्ट को पूरा करने में किसी अन्य देश की मदद नहीं लेगा. अभी सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन का ही अपना स्पेस स्टेशन है. अन्य देश स्पेस में इंटरनैशनल स्पेस सेंटर का इस्तेमाल करते हैं। स्पेस स्टेशन प्रॉजेक्ट गगनयान मिशन का ही विस्तार है. फिलहाल इसरो का पूरा ध्यान भारत चंद्रमा पर दूसरे मिशन चंद्रयान-2 पर है। चंद्रयान-2 15 जुलाई को उड़ान भरेगा और चांद के दक्षिणी पोल के पास लैंड करने की कोशिश करेगा. चंद्रयान-2 पूर्व में मिशन चंद्रयान-1 का अडवांस्ड वर्जन है. चंद्रयान-1 को 10 साल पहले लॉन्च किया गया था.गगनयान प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए इसरो चीफ ने कहा कि हम इस प्रोजेक्ट की मदद से ऐसा कर पाने में सफल होंगे. इसरो यदि फिक्स टाइम के अंदर ऐसा कर लेता है, तो भारत विश्व का चौथा देश होगा जिसका खुद का अंतरिक्ष स्टेशन (Space Center) होगा.इसरो चीफ ने कहा था कि चंद्रमा की सतह पर खनिजों के अध्ययन और प्रयोग करने के लिए भारत के दूसरे अभियान 'चंद्रयान-2' 15 जुलाई को रवाना किया जायेगा. चंद्रयान-2 को लॉन्च करने का प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव हिस्से के बारे में जानकारी इकठ्ठा करना है यह चंद्रयान-2 छह या सात सिंतबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा.अभी तक खुद के इंटरनेशन स्पेस सेंटर की बात करें तो 1971-1986 में सैल्यूट स्पेस स्टेशन (USSR), 1973-1979 में स्काईलैब (यूएस), 1986-2000 में मीर/ (यूएसएसआर/रूस) है. अमेरिका और रूस ने साझा प्रोजेक्ट के तौर पर 1998 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन बनाया था। कई अन्य देश भी बाद में इसके निर्माण में जुड़ते गये. हालांकि, ज्यादातर कंट्रोल्स और मॉड्यूल्स का खर्च अमेरिका ही उठाता है. 18 देशों के 230 लोग इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जा चुके हैं. यह धरती से लगभग 400 किमी ऊंचाई पर स्थित है। यह 28 हजार किमी की गति से घूमता है.इसके अलावा चीन भी दो स्पेस स्टेशन लॉन्च कर चुका है. चीन ने 2011 में अपना पहला स्पेस स्टेशन तियांगोंग-1 लॉन्च किया था. इसे दो साल के लिए तैयार किया गया था. यह 1 अप्रैल 2018 को धरती पर गिरकर नष्ट हो गया था. चीन ने 2016 में तियांगोंग-2 लॉन्च किया. यह अभी भी मौजूद है. चीन 2022 तक तियांगोंग-3 को लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है. मार्च 2019 तक इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में कनाडा, जापान, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी शामिल हैं.