नई दिल्ली: गर्वमेंट ने ट्रैफिक रूल्स का पालन अनिवार्य करवाने के लिए फाइन बढ़ाया: गडकरी

  • ट्रैफिक रूल तोड़ने पर फाइन में बढ़ोतरी कमाई के लिए नहीं
  • काम फाइन पर पर बहुत कम लोग नहीं मान रहे थे ट्रैफिक रूल
  •  लोग नियमों से चलें इसलिए फाइन बढ़ाया
नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया है कि ट्रैफिक रूल्स के उल्लंघन पर फाइन में की गयी भारी वृद्धि का फैसला कानून का पालन अनिवार्य बनाने के लिए किया गया है. यह सरकारी खजाने को भरने के मकसद से या आय के लिए नहीं किया गया है. गडकरी ने देश में रोड एक्सीडेंट में हो रही मौतों पर कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके लिए कड़े फाइन के बिना ट्रैफिक रूल कोई मायने नहीं रखता है. फाइन बढ़ाने का फैसला काफी समझ-बूझकर और विभिन्न पक्षों से सलाह लेकर लागू किया गया है. उन्होंने ने कहा कि ट्रैफिक रूल्सं के उल्लंघन के कारण रोड पर हो रही मौतों की संख्या बहुत ज्यादा है. फाइन में कई गुना वृद्धि का फैसला विभिन्न पक्षों से सलाह के बाद सामूहिक तौर पर लिया गया. गर्वमेंट इन फाइन से कमाई करना नहीं चाहती है. ऐसा सिर्फ रूल्स उल्लंघन की घटनाएं रोकने के लिए है. अब तक ट्रैाफिक रूल्स का बहुत कम पालन होता रहा है.'सरकार फाइन की सीमा बढ़ाने की इच्छुक नहीं है. हम चाहते हैं कि ऐसा वक्त आए जब एक भी व्यक्ति को जुर्माना नहीं देना पड़े और हर व्यक्ति कानून का पालन करे. 30 गुणा तक फाइन में हुई है बढ़ोतरी उल्लेखनीय है कि सैंट्रल गर्वमेंट द्वारा ट्रैफिक रूल्स उल्लंघन करने पर फाइन की रकम 30 गुना तक बढ़ने और सजा की अवधि में भी वृद्धि का नया नियम लागू किये जाने का विरोझ हो रहा है. पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश के साथ-साथ गुजरात ने बढ़ी हुई रेट पर फाइन सूलने से इनकार कर दिया है. संशोधित मोटर वीइकल ऐक्ट, 1988 एक सितंबर से लागू होने के बाद से भारी फाइन के चालान कटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. संसद ने मोटर वीइकल ऐक्ट, 1988 में संशोधन प्रस्ताव को जुलाई में पास किया था.सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अगस्त महीने में मोटर वीइकल्स (अमेंडमेंट) ऐक्ट, 2019 की अधिसूचना जारी की थी. एक सितंबर से इसे लागू किया गया है. बंगाल,तेलंगाना और राजस्थान जैसे राज्यों में नया कानून अब भी लागू नहीं किया गया है. पेट्रोल-डीजल वाहन बैन करने का इरादा नहींः नितिन गडकरी सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार की पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है. वे सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के सालाना कन्वेंशन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर में मंदी के मसले पर उन्होंने कहा कि मौजूदा आंकड़ों से स्पष्ट है कि वाहन उद्योग अभी समस्या के दौर में है. गडकरी ने नये मोटर वाहन कानून का बचाव करते हुए कहा कि सरकार का मकसद लोगों पर ज्यादा जुर्माना लगाना बिल्कुल नहीं है. हम चाहते हैं कि एक्सीडेंट कम हों, ताकि लोगों की जान बच सके. देश में हर साल 5 लाख रोड एक्सीडेंट होती है, जिनमें डेढ़ लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. प्रदूषण एक गंभीर समस्या गडकरी ने कहा कि सरकार बिजली और वैकल्पिक ईंधनों से चलने वाले वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है. इसकी एक वजह यह है कि देश पर पेट्रोलियम आयात का 7 लाख करोड़ रुपए का सालाना बोझ पड़ता है. देश को प्रदूषण की गंभीर समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है.उन्होंने उद्योगों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिया. वाहनों की बिक्री बढ़ाने पर गडकरी ने कहा कि बैंकों से लोन न मिलने की स्थिति में ऑटो कंपनियां चाहें तो अपना एनबीएफसी बनाकर वाहन लोन दे सकती हैं. इससे उन्हें बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी. सरकार अपनी तरफ से वाहन और दूसरे ऋणों की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास कर रही है. उद्योग भी इसमें सहयोग कर सकते हैं.कारोबार में उतार-चढ़ाव, नफा-नुकसान का दौर आता रहता है. इससे निराश होने की जरूरत नहीं है. वाहन उद्योग की सफलता की कहानी बहुत अच्छी रही है. आत्मविश्वास के बल पर वह इस दौर से उबर जायेगा. निर्यात बढ़ाकर घरेलू बाजार में कम हुई बिक्री की भरपाई की जा सकती है. इसके लिए सरकार भी जरूरी प्रोत्साहन योजना बना सकती है.