नई दिल्ली: बोफोर्स डील में 64 करोड़ की घूस लिए जाने की सीबीआइ जांच जारी रहेगी

  • सीबीआई ने कोर्ट से आगे की जांच किए जाने की ऑर्डर मांगने वाली याचिका वापस ली
  • कोर्ट ने सीबीआई को याचिका वापस लेने की मंजूरी देते हुए कहा हमारी इजाजत जरूरी नहीं थी
नई दिल्ली: सीबीआई ने कहा है कि बोफोर्स डील में 64 करोड़ की घूस लिए जाने की जांच जारी रहेगी. सीबीआइ नेस्पेशल कोर्ट से अपनी वह याचिका वापस ले ली है जिसमें उसने मामले की आगे जांच किए जाने की मंजूरी मांगी थी. चीफ मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट नवीन कश्यप ने सीबीआई को याचिका वापस लेने की मंजूरी देते हुए कहा कि इसके लिए इजाजत की जरूरत नहीं थी. केवल हमें जानकारी दे देना ही काफी था. सीबीआई के प्रवक्ता नितिन वकनकर ने बताया कि मिशेल हार्शमेन नाम के शख्स द्वारा किए गए खुलासों के बाद सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट से बोफोर्स केस में आगे की जांच की अनुमति मांगी है. उन्होंने बताया कि 8 मई 2019 को कोर्ट ने पाया था कि यदि सीबीआई को इस मामले में जांच करने का स्वतंत्र अधिकार है तो इस निवेदन की आवश्यका क्या है.सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि कानूनी राय लेने के बाद सीबीआई ने 16 मई (आज) को चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में एक याचिका दायर की. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत आगे की जांच के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है.कोर्ट को महज जानकारी दे देना ही काफी होगा.सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि बोफोर्स मामले में आगे की जांच जारी रहेगी. सीबीआई और वकील अजय अग्रवाल की तरफ से इस मामले में आगे की जांच के लिए मंजूरी दिए जाने की याचिका दाखिल की गई थी. सीबीआई के वकील अनिल तंवर ने कोर्ट को बताया कि हम अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं. इस मामले में आगे की कार्रवाई जांच एजेंसी द्वारा तय की जायेगी. कोर्ट ने सवाल किया तो अग्रवाल ने याचिका वापस लेने की बात की. कोर्ट ने उन्हें भी इसकी इजाजत दे दी.अब मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी. सीबीआइ ने बताया कि निजी जासूस माइकल हेर्शमैन ने कुछ खुलासे किए इसके बाद हमने ट्रायल कोर्ट में बोफोर्स मामले में आगे की जांच के लिए इजाजत मांगी थी. चीफ मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट कोर्ट(सीएमएम) ने आठ मई को सुनवाई के दौरान कहा था कि जब आगे की जांच के लिए सीबीआई के पास स्वतंत्र अधिकार और शक्तियां मौजूद हैं, तब यह उसके खुद के विवेक पर निर्भर करता है कि क्या ऐसा करना जरूरी है। इस तरह की याचिका क्यों दायर की गई.'इसके बाद कोर्ट ने 16 मई को सुनवाई की तारीख तय कर दी थी. सीबीआई ने कहा कि कानूनी सलाह लेने के बाद सीबीआई ने 16 मई को सीएमएम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की. इस मामले की जांच के लिए अदालत की इजाजत जरूरी नहीं है, केवल कोर्ट को जानकारी दे देना ही पर्याप्त है. सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2018 में सीबीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एजेंसी ने 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हिंदुजा बंधुओं एसपी, हिंदुजा, जीपी हिंदुजा, पीपी हिंदुजा और अन्य के खिलाफ लगे सभी आरोप खारिज कर दिये थे. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1986 में आर्म्स बनाने वाली स्वीडन की कंपनी बोफोर्स ने इंडियन आर्मी को 155 mm की 400 तोपें सप्लाई करने का डील किया था. यह डील 1.3 अरब डॉलर की थी. स्वीडिश रेडियो ने सबसे पहले 16 अप्रैल 1987 में बोफोर्स में 64 करोड़ रुपये दलाली का खुलासा किया. इसे बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स कांड के नाम से जाना जाता है.