महाराष्ट्र:सीएम देवेंद्र फडणवीस दिया इस्तीफा,80 घंटा में गिर गयी बीजेपी गर्वमेंट

  • शिवसेना पर जमकर बरसे फडणवीस
  • प्रेस कांफ्रेस के बाद राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा
  • डिप्टी सीएम अजीत पवार ने पहले ही दे दिया था इस्तीफा
मुंबई: महाराष्ट्र के सीएम सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है। राज्य में बीजेपी की गर्वमेंट तीन दिन लगभग 80 घंटे में ही गिर गयी। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का ऐलान किया। इसके बाद गर्वनर भगत सिंह कोशियारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सीएम देवेंद्र फडनवीस ने प्रेस कांफ्रेस में अपने इस्तीफा का एलान करते हुए शिवसेना पर जमकर बरसे। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, शिवसेना एनसीपी व कांग्रेस की एकजुटता के आगे बीजेपी की दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक कुछ नहीं चल सकी। देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को यह लग रहा था कि वे फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित नहीं कर पायेंगे और दोनों ने पद से इस्तीफा दे दिया। [caption id="attachment_41946" align="alignnone" width="300"] प्रेस कांफ्रेस में देवेंद्र फडणवीस.[/caption] सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि महाराष्ट्र के विधानसभा में बीजेपी को दिल खोलकर वोट कर बीजेपी को पूरा जनादेश दिया। बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनाया। हमने शिवसेना के साथ चुनाव लड़ा और दोनों को मिलकर सरकार बनाने का जनादेश मिला. फडणवीस ने कहा कि यह जनादेश इसलिए बीजेपी का था क्योंकि हमारा स्ट्राइक रेट ज्यादा शिवसेना से ज्यादा था। शिवसेना का स्ट्राइक रेट 40 परसेंट का और हमारा स्ट्राइक रेट 60 परसेंट से ज्यादा का था। उन्होंने कहा कि बीजेपी को धमकी मिली तो हम फिर किसी के साथ भी जा सकते हैं। शिवसेना हमसे चर्चा करने की जगह एनसीपी से चर्चा कर रही थी। जो लोग मातोश्री से बाहर नहीं जाते थे वो बाहर जाकर चर्चा करने लगे। राज्यपाल ने हमे सबसे पहले सरकार बनाने के लिए बुलाया और नंबर नहीं होने के चलते हम सरकार नहीं बना सके। फिर शिवसेना ने कहा हमारे पास नंबर तो है लेकिन समय चाहिए। एनसीपी भी सरकार नहीं बना सकी इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया। तीन अलग-अलग विचारधारा के लोग चर्चा तो कर रहे लेकिन सरकार नहीं बना रहे थे। तीनों का एक ही कॉमन मिनिमम कार्यक्रम था बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना। विधानसभा में जो एनसीपी के नेता थे उन्होंने हमसे चर्चा की और फिर हमने सरकार बनाई। तीन पहिया सरकार नहीं चल पायेगी: फडणवीस फडणवीस ने सूबे में अस्थिरता का ठीकरा शिवसेना पर फोड़ते हुए कहा कि हमने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बहुमत हासिल किया था। हमें जनता ने 105 सीटें देकर ज्यादा समर्थन दिया। शिवसेना ने यह देखते हुए कि उसके बगैर सरकार नहीं बन सकती है तो वह सीएम की मांग पर अड़ गई, जबकि पहले ऐसी कोई बात तय नहीं हुई थी। उन्होने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, उसके बाद तीनों पार्टियां चर्चा करते-करते 10 दिन तक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तक तय नहीं कर पाईं। इनका मकसद बस बीजेपी को हटाकर सत्ता पाना था। उनकी वैचारिक भूमिका एक-दूसरे से मेल नहीं खाती थी। शिवसेना का हिंदुत्व अब सोनिया जी के चरणों में नतमस्त है। जब ये सरकार नहीं बना पाये ऐसे समय में अजित पवार ने हमें समर्थन देने की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम समर्थन देकर सरकार बनाना चाहते हैं। उनके समर्थन से हमने सरकार बनाई। कल जो फ्लोर टेस्ट होना है उससे अजित पवार ने कहा कि मैं सरकार में शामिल नहीं हो सकता हूं। हमने पहले कहा था हमारे पास नंबर नहीं था। इसलिए हमने तय किया कि मैं इस्तीफा दूंगा। मैं यहां से निकलकर राज्यपाल के पास जाउंगा और अपना इस्तीफा सौंपूंगा।उन्होंने कहा कि इनका एजेंडा सत्ता में रहना है और उसके लिए इक्ट्ठा हुए हैं। हम अच्छे विपक्ष के रूप में काम करेंगे और लोगों की आवाज उठायेंगे। इतने विरोधाभास वाली सरकार कैसे चलेगी। दो पहिए वाला स्कूटर चलता है तीन पहिए वाला ऑटो चलता है लेकिन जब दो पहिए अलग जायेंगे तो सरकार कैसे चलेगी। फडणवीस ने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की तीन पहिया सरकार नहीं चल पायेगी। उल्लेखनीय है कि शिवसेना, एनसीपी)और कांग्रेस ने सोमवार को संयुक्त रूप से अपने 162 विधायकों की सार्वजनिक परेड आयोजित की। शनिवार को देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार ने नाटकीय तरीके से सीएम और डेप्युटी सीएम की शपथ ली थी। देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि अजित पवार ने एनसीपी विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है और उनके पास बहुमत है। हालांकि एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि यह अजित पवार का निजी फैसला है। एनसीपी इससे सहमत नहीं है। शरद पवार का प्रेशर काम आया और बीजेपी गर्वमेंट तीन दिन भी नहीं चल सकी। अजीत पवार अपने चाचा शरद पवार को धोखा देकर बीजेपी खेमे में चले गये थे। बीजेपी व व उसके सहयोगी अजित पवार गुट के 170 विधायकों का संख्या बल होने के दावा कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट का 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट व शि‍वसेना, एनसीपी व कांग्रेस की एकजुटता ने बीजेपी के दावे को हवा निकाल दी। विधानसभा में बुधवार की शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश फ्लोर टेस्ट का सीधा प्रसारण करने का आदेश राज्यपाल से तत्काल प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने कहा [caption id="attachment_9560" align="alignnone" width="300"] सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).[/caption] नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 27 नवंबर को शाम पांच बजे से पहले महाराष्ट्र विधानसभा में एक फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एनवी रमन्ना की की अध्यक्षता वाली तीन जस्टिस की बेंच ने पीठ ने शनिवार को तड़के महाराष्ट्र के गर्वनर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजित पवार को डिप्टी के रूप में शपथ दिलाने के फैसले को चुनौती देने वाली तीन पक्षों की संयुक्त याचिका पर यह आदेश पारित किया। जस्टिस एन वी रमना ने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के खिलाफ शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि 27 नवंबर को शाम पांच बजे से पहले एक फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जाना चाहिए। फ्लोर टेस्ट का सीधा प्रसारण करने का भी आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल से तत्काल प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करने को आदेश दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फड़णवीस बुधवार को विधान सभा में अपना बहुमत सिद्ध करें। जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि विधायकों की खरीद फरोख्त से बचने के लिये यह जरूरी है। पीठ ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से कहा कि वह अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी निर्वाचित प्रतिनिधि बुधवार को ही शपथ ग्रहण कर लें। बेंच ने कहा कि इस समूची प्रक्रिया को बुधवार की शाम पांच बजे तक पूरा किया जायेगा। इसका सीधा प्रसारण किया जायेगा। बेंच ने कहा कि सदन में गुप्त मतदान नहीं होगा। राज्यपाल कोश्यारी द्वारा नियुक्त अस्थाई अध्यक्ष नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलायेंगे। बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'मौजूदा मामले में नवनिर्वाचित विधायकों ने अभी तक शपथ ग्रहण नही की है। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की खरीद फरोख्त से बचने के लिये जरूरी है कि बहुमत का निर्धारण सदन में ही हो। हमारी सुविचारित राय है कि राज्यपाल को सदन में बहुमत परीक्षण सुनिश्चित करना चाहिए।कोर्ट कहा कि देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की मुख्य याचिका पर जवाब आठ सप्ताह में जवाब दाखिल किये जायेंगे।बेंच ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये सदन में बहुमत परीक्षण का अंतरिम आदेश देना जरूरी है। संवैधानिक सुशिता को ध्यान में रखते हुए बेंच ने कहा कि राज्य में चुनाव के नतीजे आने के एक महीने बाद भी निर्वाचित सदस्यों को शपथ नहीं दिलायी गयी है।राज्य में स्थिर सरकार के लिये जल्द से जल्द सदन में बहुमत परीक्षण कराना होगा और राज्यपाल को निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के लिये अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस सरकार को शपथ दिलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की याचिका पर कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधान सभा में बीजेपी के 105,शिव सेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली है।