झारखंड कांग्रेस प्रसिडेंट डा. अजय कुमार ने रिजाइन दिया, स्टेट के कई सीनीयर पार्टी लीडरों पर गंभीर आरोप लगाये

  • सुबोधकांत, फुरकान, बलमुचू, राजेंद्र, ददई के खिलाफ लगाये गंभीर आरोप
  • लीडरों पर परिवारवाद, भ्रष्टाचार और पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने का आरोप
  • खराब से खराब अपराधी भी मेरे इन सहयोगियों से बेहतर दिखते हैं
रांची: झारखंड कांग्रेस के प्रसिडेंट डा अजय कुमार रिजाइन दे दिया है. डा अजय ने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को भेज दिया है. डॉ अजय ने शुक्रवार की शाम नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की. डॉ अजय ने इससे पहले भेजे गये पत्र में कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचु, चंद्रशेखर दूबे, राजेंद्र सिंह और फुरकान अंसारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते ही पार्टी लीडरशीप को कई जानकारी दी है. डा अजय ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल सहित अन्य नेताओं को भी भेजा है. डा अजय झाारखंड में पार्टी के कुछ नेताओं पर परिवारवाद, भ्रष्टाचार और पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है. इन नेताओं के कार्याकलाप और पिछले 16 महीने में संगठन को खड़ा करने के अपने प्रयास व पीड़ा की चर्चा की है. राहुल गांधी को भेजे त्यागपत्र में अजय कुमार ने कहा है कि मैंने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए पूरी मेहनत की, लेकिन मेरे प्रयास को कुछ लोगों ने अवरुद्ध करने का काम किया. तमाम अवरोधों के बावजूद और 'तथाकथित नेताओं' के सहयोग के बिना इस बार के चुनाव में कांग्रेस के मत प्रतिशत में 2014 की तुलना में 12 परसेंट की वृद्धि हुई. डा अजय ने कुछ नेताओं पर अपने बेटे-बेटियों को टिकट दिलाने की पैरवी करने का आरोप लगाया. डा कुमार ने दावा किया कि जब किसी नेता को अपनी सीट असुरक्षित होने का अहसास होता है तो वह पार्टी में तबाही मचाने लगता है. ज्वाइंट बिहार में फेमस आइपीएस रह चुके डा अजय ने कहा कि मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि कांग्रेस अपनी मूल जड़ों की तरफ लौटे और वे मुद्दे उठाए जो जनता के लिए महत्वपूर्ण हैं. डा अजय ने आरोपों के साथ दावा भी किया कि झारखंड में ओछे स्वार्थ वाले नेताओं की एक लंबी सूची है. इन नेताओं का एकमात्र उद्देश्य सत्ता हथियाना, टिकट बेचना या चुनाव के नाम पर धन एकत्र करना है. सुबोधकांत, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचु, चंद्रशेखर दूबे, फुरकान अंसारी और अन्य नेता केवल राजनीतिक पद हथियाने में लगे हैं. क्षुद्र व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी हित को ताक पर रखने का हरसंभव प्रयास किया है. हमारे पास ओछे स्वार्थ वालों की लंबी सूची है. इनका एकमात्र उद्देश्य सत्ता हथियाना, टिकट बेचना और चुनाव के नाम पर धन इकट्ठा करना है. डॉ अजय ने कहा है कि एक गर्वित भारतीय और पुलिस वीरता पुरस्कार के सबसे कम उम्र के विजेताओं में से एक और जमशेदपुर में माफिया का सफाया करने के रूप में, मैं आत्मविश्वास से कह सकता हूं कि सबसे खराब से खराब अपराधी भी मेरे इन सहयोगियों से बेहतर दिखते हैं. सुबोधकांत, रामेश्वर, प्रदीप, चंद्रशेखर दूबे, फुरकान और अन्य नेता केवल राजनीतिक पद हथियाने में लगे हैं. मुझे लक्ष्य से डिगाना आसान नहीं था, लेकिन मेरे धैर्य की परीक्षा हो गयी. मुझ पर हमला करने के लिए गुंडों को रखा. सुबोधकांत सहाय जैसे तथाकथित कद्दावर नेता ने प्रदेश मुख्यालय में उत्पात मचाने के लिए किन्नरों को प्रोत्साहित किया. बेहद ही स्तरहीन और घटिया हरकत की.उन्होंने सीएलपी लीडर आलमगीर आलम का जिक्र करते हुए लिखा है कि वे उनके प्रतिष्ठित सहयोगी रहे हैं. उल्लेखनीय है कि झारखंड कांग्रेस में कई माह से विवाद चल रहा था.रांची पार्टी आॉफिस में डा अजय व सुबोधकांत समर्थकों के बीच पिछले दिनों जमकर मारपीट हुई थी. पार्टी ऑफिस में पुलिस बुलानी पड़ी थी. पार्टी में सीनीयर लीडरों का बड़ा तबका डा अजय के खिलाफ है. डा अजय को हटाने की मांग की जा रही थी.पिछले दिनों नई दिल्ली में झारखंड के नेताओं के साथ सेंट्रल लीडरशीप ने मीटिंग कर बयानबाजी पर रोक लगाने की हिदायत दी थी.