धनबाद: झरिया एमएलए संजीव सिंह ने नीरज सिंह मर्डर केस की सीबीआइ जांच की गुहार लगाई, हाई कोर्ट में याचिका दायर

  • एमएलए के एडवोकेट ने केस के आईओ इंस्पेक्टर निरंजन तिवारी पर लगाये गंभीर आरोप
  • कहा-पुलिस जांच पर भरोसा नहीं,हो रही है एकतरफा कार्रवाई
धनबाद:झरिया एमएलए संजीव सिंह ने एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर केस की सीबीआइ जांच की मांग की है.एमएलए की ओर से मामले की सीबीआइ जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है.एमएलए संजीव की ओर से झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट बीएम त्रिपाठी, मदन मोहन दरिप्पा,नूतन शर्मा,मनबोध कुमार डे,देवी शरण सिन्हा, पंकज प्रसाद और मो.जावेद ने एक गुरुवार को ज्वाइंट प्रेस कांफ्रेस में यह बाते कहीं. एमएलए के एडवोकेट ने केस के आइओ इंस्पेक्टर निरंजन तिवारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस जांच पर भरोसा नहीं है.केस के आइओ मामले में एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं. एमएलए संजीव सिंह समेत अन्य को फंसाने के लिए कांड के सूचक नीरज सिंह के भाई व उनके सहयोगियों ने स्क्रिप्ट तैयार किया है.उन्होंने अपने पसंद के पुलिस अफसर को इस मामले में आइओ बनाया. आईओ ने वही किया जो उन्हें करने को कहा गया. ऐसा लगता है कि आईओ पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी खास व्यक्ति को फं साने के लिए व सूचक और उनके परिवार को खुश करने के लिए सबकुछ कर रहे हैं.सूचक और उनके सहयोगी पहले सीबीआइ की जांच की मांग कर रहे थे पर जब उनकी पसंद का आईओ और पसंद का काम होने लगा तो उन्होंने सीबीआइ जांच की मांग छोड़ दी.एसआइटी की जांच से वे संतुष्ट नहीं थे,आज उस पर भी चुप है.एसआइटी की जांच के विषय में डायरी में कहीं जिक्र ही नहीं किया.मामले का निष्पक्ष अनुसंधान न किया गया हो तो पुलिस की कार्यशैली पर विश्वास करना कठिन है.इसलिए एमएलए ने इस मामले सीबीआइ से जांच कराने के लिए हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है. मीडिया से बातचीत में हाई कोर्ट के सीनीयर एडवोकेट बीएम त्रिपाठी ने कहा कि एमएलए संजीव ने छह सितंबर को झारखंड हाइ कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सीबीआइ जांच की मांग की है. अनुसंधान से पता चलता है 21 मार्च से लेकर 23 मार्च तक केवल पुलिस कागज उठाकर लाई. सारे बनावटी गवाह लाये गये जिन्होंने खुद को प्रत्यक्षदर्शी बताया.24 दिन के बाद अचानक सभी खड़े हो जाते हैं.घटना के दिन घटनास्थल पर काफी संख्या में पुलिसवाले थे परंतु किसी ने एफआइआर नहीं किया. कोर्ट पर है पूरा भरोसा उन्होंने कहा कि उनके मुवक्कील संजीव सिंह व अन्य आरोपितों को कोर्ट पर पूरा भरोसा है. कोर्ट में बहुत अच्छे तरीके से सुनवाई चल रही है परंतु मेरे मुवक्किल को यह विश्वास हो गया है कि पुलिस ने सूचक के साथ मिलकर बदले की भावना से उन्हें फंसाया है.पुलिस ने एसआइटी की जांच को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है.इसलिए सीबीआइ जांच आवश्यक है. कोर्ट में क्रेन से लाई गई एक्स नीरज सिंह की फारच्यूनर, जज ने किया निरीक्षण गाड़ी पर दाहिनी ओर गोली का निशान नहीं और ना ही शीशा टूटा धनबाद:धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डरके मामले में गुरुवार को फिरआईओ इंस्पेक्टर निरंजन तिवारी की गवाही हुई.आईओ ने इस दौरान नीरज सिंह की फारच्यूनर कार को क्रेन पर लादकर कोर्ट के सामने पेश किया. इसी कार में बैठे नीरज समेत चा लोगों की गोली मारकर मर्डर की गयी थी.कोर्ट के सामने नीरज की फॉरच्युनर को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी थी. आलोक कुमार दुबे खुद आईओ निरंजन तिवारी,पीपी ओमप्रकाश तिवारी व डिफेंडेंड के एडवोकेट के साथ कोर्ट रूम से बाहर आये और गाड़ी का निरक्षण किया. बताया जाता है कि धनबाद के इतिहास में पहली बार कोर्ट रूम से बाहर आकर किसी मामले में गवाह का प्रतिपरीक्षण किया गया.गाड़ी काफी बड़ी है और उसे कोर्ट रूम के अंदर नहीं रखा जा सकता था, लिहाजा उसे कोर्ट रूम के बाहर क्रेन पर ही लादकर कर रखा गया था.इस कारण जज और वकील को नीचे जाकर गाड़ी का निरीक्षण और प्रति परीक्षण करना पड़ा.डिफेंडेंट एडवोकेट बीएम त्रिपाठी,मदन मोहन दरिप्पा,देवीशरण सिन्हा,मो.जावेद,पंकज प्रसाद, कुमार मनीष,जया कुमार,एके तिवारी ने आईओ से लगभग डेढ़ दर्जन सवाल पूछे.एडवोकेट ने आईओ से गाड़ी में लगे विभिन्न जगह बुलेट के निशान को दिखाया और पूछा.आईओ ने कहा कि गाड़ी के दाहिनी ओर कोई बुलेट का निशान नहीं है ना ही शीशा टूटा हुआ है.ड्राइविंग सीट के नीचे चार गोली घुसने का निशान है जिसमें एक गोली पीछे से निकला हुआ का निशान है.आइओ ने कहा कि उन्होंने गाड़ी की चाबी के संबंध में कोई अनुसंधान नहीं किया,इसलिए उन्हें नहीं पता कि चाबी का क्या हुआ उन्होंने पहली बार गाड़ी 24 मार्च को देखा था. गाड़ी को रखा था थाने में लेकिन कोर्ट का आदेश नहीं था आईओ ने कहा कि एसएल टीम के मेंबरों को चार्जशीट का गवाह नहीं बनाया है.एफएसएल की टीम 21 मार्च की रात में ही धनबाद आ गई थी. उन्होंने कहा कि कोर्ट से गाड़ी को थाना में रखने का आदेश प्राप्त नहीं किया था.