झारखंड:हाई कोर्ट ने स्टेट गर्वमेंट की स्थानीय नीति को सही ठहराया

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने स्टेट गर्वमेंट की स्थानीय नीति को सही ठहराया है.एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र और अपरेश कुमार सिंह की कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए गर्वमेंट की स्थानीय नीति पर मुहर लगा दी.कोर्ट ने स्थानीय नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने यह याचिका दाखिल की थी.हाई कोर्ट के इस फैसले से रघुवर गवर्मेंट को बिधानसभा चुनाव से पूर्व बड़ी राहत मिली है. झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की स्थानीय नीति को सही ठहराते स्थानीय नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया.कोर्ट ने माना कि सरकार की स्थानीय नीति में कोई कमी नहीं है.कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी की ओर से उठाये गये बिंदु उचित नहीं हैं,इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है.आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर सरकार की स्थानीय नीति को अवैध बताया था. पांच जजों की बेंच के आदेश के तहत बनी नीति सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता जेजे सांगा ने कहा कि वर्ष 2003 में पांच जजों की बेंच ने स्थानीय नीति में राज्य के स्थानीय व्यक्ति को तय करने का निर्देश दिया था,लेकिन सरकार ने व्यक्ति के बदले निवासी शब्द का इस्तेमाल किया है.सरकार ने स्थानीय व्यक्ति तय नहीं करके स्थानीय निवासी के नाम पर डोमिसाइल तय कर दिया है.डोमिसाइल पूरे देश का होता है.इस कारण सरकार की ओर से जारी यह अधिसूचना अवैध है.इसे निरस्त कर देना चाहिए.राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने बेंच को बताया कि स्थानीय नीति को लेकर झारखंड के सभी स्टेक होल्डर,बुद्धिजीवी और पार्टियों से इस पर राय ली गई है.काफी गहन मंथन के बाद सरकार ने स्थानीय नीति को लागू किया है.16 साल से यह मामला लंबित था और इस नीति के जरिए स्थानीय लोगों को परिभाषित किया गया है. वर्ष 2003 में प्रशांत विद्यार्थी वर्सेज झारखंड सरकार के मामले में पांच जजों की संवैधानिक पीठ की ओर से पारित आदेश के आलोक में ही इस नीति को बनाया गया है.सरकार ने स्थानीय निवासी होने के लिए कई मानक तय किये हैं.इसे पूरा करने वाले ही स्थानीय निवासी माने जायेंगे