झारखंड:हाईकोर्ट ने स्टेट गर्वमेंट की नियोजन नीति पर रोक लगायी, मामला लार्जर बेंच को ट्रांसफर,चार नवंबर कोअगली सुनवाई

रांची:झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को सरकार की नियोजन नीति व संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई.एक्टिंग चीफ जस्टिस हरीश चंद्र मिश्र व जस्टिस दीपक रोशन की बेंच ने कहा कि ने कहा कि नियोजन नीति के तहत 13 जिलों में शत-प्रतिशत पद आरक्षित करना असंवैधानिक प्रतीत हो रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार की अधिसूचना 5393, दिनांक 14 जुलाई 2016 के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी.संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति की चल रही प्रक्रिया पर भी रोक लगाने का निर्देश दिया.बेंच ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगायी है.बेंच ने विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को लार्जर बेंच में ट्रांसफर कर दिया.बेंच ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार नवंबर की तिथि निर्धारित की है. इससे पहले प्रार्थी की ओर से से राजस्थान हाइकोर्ट के एडवोकेट विज्ञान शाह, एडवोकेट ललित कुमार सिंह व मेल प्रकाश तिर्की ने पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार की नियोजन नीति पूरी तरह से असंवैधानिक है.किसी भी रूप में निवास या जन्म स्थान के नाम पर शत प्रतिशत सीटों को आरक्षित नहीं किया जा सकता है.सरकार की नीति से हमारे मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.सरकार की नियोजन नीति व संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन को निरस्त करने का आग्रह किया.सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार ने प्रार्थियों की दलील का विरोध करते हुए सरकार की नीति का बचाव किया.उन्होंने कहा कि 14 जुलाई 2016 को जारी अधिसूचना संवैधानिक है तथा सरकार ने संविधान के दायरे में उसे लागू किया है. शिडयूल पांच के तहत है. राज्य सरकार ने पूरी वैधानिक प्रक्रिया के बाद 13 अनुसूचित जिलों के तृतीय व चतुर्थवर्गीय पदों कोउसी जिले के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित किया था.यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की और से एडवोकेट संजय पिपरवाल, राकेश रंजन, प्रिंस कुमार ने बताया कि सरकार की अधिसूचना व अधियाचना के आलोक संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था.नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. अधिकतर विषयों में नियुक्ति हो चुकी है.हाइ स्कूल शिक्षक के 17,572 पदों में से लगभग 12,000 शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है.बेंच ने तीन जनवरी 2019 को अंतरिम आदेश पारित कर कहा था, इस तिथि के बाद इस विज्ञापन से सरकार द्वारा की गयी नियुक्ति अंतिम आदेश से प्रभावित होगी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पलामू निवासी सोनू कुमारी ने याचिका दायर की है.उन्होंने संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन 21/2016 व राज्य सरकार की अधिसूचना 14-01/2015/स्थानीयता नीति-5938, दिनांक 14.7.2016 (नियोजन नीति) व मेमो नंबर 5939/14.7.2016 को चुनौती दी है.कई याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग विषयों में जिलावार मेरिट बनाने को भी चुनौती दी है.मामले में दर्जनों हस्तक्षेप याचिका भी दायर की गयी है.वहीं नियुक्त हो चुके अभ्यर्थियों की ओर से भी याचिका दायर की गयी है.सभी याचिकाओ पर सुनवाई साथ-साथ चल रही है. क्या है मामला नियोजन नीति के तहत राज्य सरकार की ओर से 14 जुलाई 2016 को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें राज्य के अधिसूचित 13 जिलों में होने वाली तृतीय और चतुर्थ वर्गीय नियुक्ति आगामी दस साल के लिए स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान किया गया.उक्त जिलों के निवासियों के पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसा प्रावधान बनाया.हालांकि राज्य सरकार ने अब सभी जिलों के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों को स्थानीय निवासियों के लिए लॉक कर दिया है.सरकार की नियोजन नीति के आलोक में हाइ स्कूल शिक्षक नियुक्ति के प्रकाशित विज्ञापन (21/2016, 28.12.2016) में कहा गया है कि राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिले के अभ्यर्थी 13 अनुसूचित जिलों में नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं.13 अनुसूचित जिलों के स्थानीय अभ्यर्थी अपने मूल जिले में ही आवेदन कर सकेंगे.प्रार्थी सोनी कुमार का कहना था कि 13 अनुसूचित जिलों में शत प्रतिशत आरक्षण दिया जाना असंवैधानिक है.जस्टिस एस चंद्रशेखर की एकल पीठ ने 12 दिसंबर 2018 को मामले में संवैधानिक पहलुओं को देखते हुए उसे बेंच में ट्रांसफर कर दिया था.