नई दिल्ली: देश में साइंस को लेकर युवाओं और छात्रों में रुचि की एक नई लहर पैदा हुई: पीएम

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जिसने बिना विज्ञान और तकनीक के तरक्की की हो. भारत ने दुनिया को कई महान वैज्ञानिक दिए हैं. हमारा इतिहास हमें गौरवान्वित करता है। हमारा वर्तमान भी विज्ञान से पूरी तरह से प्रभावित है.भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि हम मानव मूल्यों के साथ विज्ञान और तकनीक को लेकर आगे बढ़ें. सरकार नवीनता और अविष्कार को संस्थान के स्तर पर सहयोग कर रही है. विज्ञान और तकनीक को लेकर बनाया गया इकोसिस्टम और मजबूत हुआ है. पीएम मोदी मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता में हो रहे पांचवें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल को संबोधित कर रहे थे. पीएम ने कहा किये फेस्टिवल ऐसे समय में हो रहा है, जब सात नवंबर को सीवी रमन और 30 नवंबर को जगदीश चंद्र बोस की जन्मजयंती मनाई जायेगी इस Festival की थीम, RISEN: Research, Innovation and Science Empowering the Nation” तय करने के लिए आयोजकों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई. ये थीम 21वीं सदी के भारत के मुताबिक है और इसी में हमारे भविष्य का सार है. इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का 5वां एडिशन ऐसे स्थान पर हो रहा है, जिसने ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में मानवता की सेवा करने वाली महान विभूतियों को पैदा किया है. देश में साइंस और टेक्नोलॉजी का इकोसिस्टम बहुत मजबूत होना चाहिए. एक ऐसा इकोसिस्टम जो प्रभावी भी हो और प्रेरक भी हो। हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.मुझे खुशी है कि देश में आज Scientific Temper एक अलग स्तर पर है. उन्होंने देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि 'चंद्रयान 2 एक सफल मिशन था और इससे युवाओं में विज्ञान को लेकर उत्सुकता पैदा हुयी।''हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 2 पर बहुत मेहनत की.सब कुछ योजना के अनुसार नहीं हुआ, लेकिन यह मिशन सफल था. यदि आप व्यापक परिप्रेक्ष्य की ओर देखें, तो आप पायेंगे कि यह भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों की सूची में एक प्रमुख उपलब्धि है.सात सितंबर को चंद्रयान -2 के विक्रम लैंडर का इसरो के नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था. यदि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग सफल हो गयी होती तो भारत अमेरिका, रूस और चीन की सूची में शामिल हो सकता था.ऐसा लगता है कि साइंस को लेकर हमारे युवाओं और छात्रों में रुचि की एक नई लहर पैदा हुई है.इस शक्ति को, इस ऊर्जा को 21वीं सदी के Scientific Environment में सही दिशा में ले जाना, सही प्लेटफॉर्म देना, हम सबका दायित्व है. हमारे यहां कहा गया है. तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः !! यानि आपका बाहरी व्यक्तित्व तभी सार्थक है जब आप गुणवान भी होते हैं. इसी तरह विज्ञान वही उपयोगी है जो समाज के हित में हो. हमें सोचना होगा कि साइंस का उपयोग कैसे लोगों के जीवन को सुगम बनाने में किया जा सकता है.इसलिए साइंस फॉर सोसाइटी का बहुत महत्व है.उन्होंने कहा कि जब सभी वैज्ञानिक, सभी देशवासी इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तो देश का भी लाभ होगा. मेरा आपसे आग्रह ये भी होगा कि लांग टर्म बेनिफिट, लांग टर्म सलूसन ( Long Term Benefit, Long Term Solutions) के बारे में सोचते हुए आगे बढ़िए.और इन सारे प्रयासों के बीच आपको अंतरराष्ट्रीय नियमों, उसके मापदंडों का भी हमेशा ध्यान रखना होगा. हम सभी भली-भांति जानते हैं कि विज्ञान, बिना दो चीजों के संभव ही नहीं है. ये दो चीजें हैं समस्या और सतत प्रयोग। साइंस में Failure नहीं होते, सिर्फ Efforts होते हैं, Experiments होते हैं, और Success होती है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप आगे बढ़ेंगे तो विज्ञान के क्षेत्र में भी आपको दिक्कत नहीं आएगी और जीवन में भी.