बिहार:महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन,राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार,पीएमसीएच में बड़ी लापरवाही

  • एंबुलेंस के ल्ए हॉस्पीटल के बाहर घंटो पड़ा रहा शव
पटना:महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पटना पीएमसीएच में निधन हो गया. वह 40 साल से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने कभी आइंस्टीन के सिद्धांत को चु्नौती दी. उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (पीएमसीएच) में दम तोड़ा. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ भोजपुर स्थित उनके पैतृक गांव में होगा. वशिष्ठ नारायण सिंह देश के स्टीफन हॉकिंग कहे जाते थे. वशिष्ठ नारायण सिंह वर्ष 1974 में मानसिक बीमारी के कारण कांके रांची के मेंटल हॉस्पीटल में एडमिट किये गये थे. वह वर्ष 1989 में वे गढ़वारा (खंडवा) स्टेशन से लापता हो गये. सात फरवरी 1993 को छपरा के डोरीगंज (छपरा) में एक झोपड़ीनुमा होटल के बाहर प्लेट साफ करते मिले. उन्हें पिछले साल अक्टूबर में उन्हें पीएमसीएच के आइसीयू में एडमिट किया गया था. इलाज के बाद घर ले जाया गया था. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें आज फिर पीएमसीएच लाया गया था. पीएमसीएच की बड़ी लापरवाही,बाहर घंटों पड़ा रहा शव वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को हॉस्पीटल कैंपस में बल्ड बैंक के पास रखवा दिया गया था.पीएमसीएत मैनेजमेंट शोकाकुल परिजनों की मदद को ले लापरवाह बना रहा. हॉस्पीटल ने शव ले जाने के लिए एंबुलेंस या शव वाहन तक मुहैया नहीं कराया. बताया जाता है कि पार्थिव शरीर उनके पैतृक आवास पहुंचाने के लिए दलाल छह हजार रुपये की मांग कर रहे थे.इस शर्मनाक घटना पर सोशल मीडिया पर लोगों ने नीतीश सरकार और अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही के आरोप लगाये. कुमार विश्वास ने लिखा,'उफ्फ, इतनी विराट प्रतिभा की ऐसी उपेक्षा? विश्व जिसकी मेधा का लोहा माना उसके प्रति उसी का बिहार इतना पत्थर हो गया? आप सबसे सवाल बनता हैं! भारतमां क्यों सौंपे ऐसे मेधावी बेटे इस देश को जब हम उन्हें संभाल ही न सकें?'उनके ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा,'इस महान विभूति का राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार. लगभग 40 साल से मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पटना के एक अपार्टमेंट में गुमनामी का जीवन बिता रहे थे. मौत से कुछ दिनों पहले तक भी किताब, कॉपी और एक पेंसिल उनके सबसे अच्छेदोस्त रहे. कहा जाता है कि अमरीका से वह अपने साथ 10 बक्से किताबें लाये थे, जिन्हें वे पढ़ते रहते थे. बाकी किसी छोटे बच्चे की तरह ही उनके लिए तीन-चार दिन में एक बार कॉपी-पेंसिल लानी पड़ती थी. मीडिया की खबर पर जागा हॉस्पीटल वशिष्ठ बाबू का शव घंटों हॉस्पीटल के बाहर पड़ा रहा.निधन की खबर मिलते ही मीडिया पीएमसीएच पहुंची. डब मीडिया ने पीएमसीएच मैनेजमेंट की संवेदनहीनता उजागर की तो मैनजमेंट के साथ जिला प्रशासन भी हरकत में आया. डीएम के हस्तक्षेप कि पार्थिव शरीर ले जाने के लिए को एंबुलेंस मुहैया कराई गई. पीएमसीएच ने पहले कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह को मृत अवस्था में लाया गया था. ‍वशिष्ट नारायण सिंह के परिजनों पीएमसीएच द्वारा जारी डेथ सर्टिफिकेट दिखाया तो मैनेजमेंट ने चुप्पी साध ली. हालांकि, हॉस्पीटल मैनेजमेंट ने लापरवाही के आरोपों से इनकार किया है. राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार भोजपुर जिला मुख्यालय स्थित प्रंखड के बसंतपुर गांव स्थित वशिष्ट नारायण सिंह के पैतृक घर पर शोक का माहौल है. परिजन, संबंधी व ग्रामीण वहां शव के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. शव को उनके पटना स्थित आवास से गांव ले जाया जायेगा. गांव में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा.राज्य सरकार ने राजकीय सम्मान के विशेष पत्र जारी किया है. सीएम नीतीश ने दी श्रद्धांजलि सीएम नतिश कुमार ने वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें महान विभूति बताया है. सीएम ने कहा कि वशिष्ठ बाबू ने अपने साथ बिहार का नाम रोशन किया है. बिहार के प्रति निष्ठावान व्यक्ति थे वशिष्ठ बाबू. उन्होंने कहा कि दिवंगत सिंह ने पूरे विश्व में भारत और बिहार का नाम रौशन किया हैउन्होंने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति औप उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की.एक्स सीएम जीतन राम मांझी ने .। उनके निधन को समाज की अपूरणीय क्षति बताया है. वशिष्ठ नारायण सिंह को जानें जन्म : दो अप्रैल 1946. 1958 : नेतरहाट की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान.1963 : हायर सेकेंड्री की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान. 1964 : पटना विश्वविद्यालय ने नियम बदलकर इन्हें एक साल में दी थी बीएससी आनर्स की डिग्री. 1965 : पटना साइंस कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसीपल प्रो जी नाथ की सिफारिश पर अमेरिकन साइंटिस्ट प्रो केली मिले, प्रतिभा देख अमेरिका भेजने का अनुरोध प्रो नाथ से किया. 1965 : बर्कले विश्वविद्यालय से नामांकन पत्र मिला।अगले साल नासा से जुड़े. 1967 : कोलंबिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटिक्स में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली. 1969 : द पीस ऑफ स्पेस थयोरी से आइंस्टीन की थ्योरी को चैलेंज किया। इसी पर पीएचडी मिली. 1971 : भारत वापस लौटे. 1972 : आइआइटी कानपुर में प्रोफेसर बने. 8 जुलाई 1973 : शादी हुई. 1974 : मानसिक बीमारी की जांच शुरू. कांके (रांची) अस्पताल में कुछ समय के लिए एडमिट 1989 : गढ़वारा (खंडवा) स्टेशन से लापता. सात फरवरी 1993 : डोरीगंज (छपरा) में एक झोपड़ीनुमा होटल के बाहर प्लेट साफ करते मिले. 14 नवंबर 2019: पटना में लंबी बीमारी के बाद मौत.