धनबाद: निरसा में टवेरा लदी गांजा जब्ती मामले में चिरंजीत बेकसूर तो कसूरवार कौन?, पुलिस छुपा रही है राज

उठ रहे हैं ये सवाल-
  • निरसा एसडीपीओ व थानेदार को गांजा की गुप्त सूचना किसने दी?
  • टवेरा गाड़ी में गांजा रखकर कौन बंगाल से लाया?
  • किसने गांजा लदी गाड़ी निरसा एसडीपीओ व थानेदार को सौंपी?
  • टवेरा गाड़ी का असली मालिक कौन है?
  • अगर गाड़ी चोरी की है तो उसे लाकर पुलिस को देने वाला कौन है?
धनबाद: निरसा पुलिस गांजा तस्करी की झूठी कहानी बनाकर बेकसूर ईसीएल स्टाफ चिरंजीत घोष को पहले जेल भेजने व फिर बेकसूर साबित कर अपनी गर्दन बचाना चाह रही है. 40 किलोगंजा बरामद कर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस की पोल सप्ताह भर में ही खुल गयी थी. मामला हाईलाइट होने पुलिस हेडक्वार्टर तक मामला पंहुचने के बाद आनन-फानन में उपलब्धि के 37 दिनों के अंदर पुलिस बैकफुट पर आ गयी. केस में जेल में बंद बेकसूर चिरंजीत के खिलाफ नो एवींडेंस संबंधी रिपोर्ट पुलिस को सौंपी. पुलिस रिपोर्ट के आधार पर चार सितंबर से जेल में बंद चिरंजीत को एक अक्तूबर को रिहा कर दया गया.अब सवाल उठता है कि पुलिस को अपनी गलती मानकर बेकसूर को जेल से रिहा करवा देने से मामले का पटक्षेप हो जायेगा. सवाल है कि चिरंजीत निर्दोष है तो असली गांजा तस्कर कौन है? टवेरा गाड़ी किसकी है? पुलिस अब तक इसका खुलासा नहीं कर पायी है. पुलिस को किसने गांजा तस्करी की सूचना दी थी. पुलिस को किसने चिरंजीत नाम व ठिकाना बताया था. पुलिस किसको साथ लेकर तीन सितंबर की रात चिरंजीत के घर गयी थी. ऐसे में तो स्पष्ट है कि पूरी प्लानिंग थी. किसी तस्कर व इलिगल कारोबारी ने निरसा थानेदार व एसडीपीओ से मिलीभगत कर गांजा की कहानी प्लांट की. अब सवाल उठता है कि किसी क्रिमिनल व गलत लोगों के कहने पर पुलिस तत्काल एफआइआर कर सकती है. वह तस्कर कौन था जिसने निरसा पुलिस को गांजा व टवेरा गाड़ी उपलब्ध करायी. कहा जा रहा है कि पुलिस की यह कहानी भी झूठ है कि 24 अगस्त की रात जीटी रोड में टवेरा लदी गांजा पकड़ी गयी और उसमें सवार लोग भाग निकले. आरोप है कि पुलिस को गांजा लदी टवेरा देर शाम को बंगाल से लाकर सौंपी गयी थी. पुलिस आधी रात कहानी बनायी कि टवेरा पकड़ी गयी है. पुलिस उस गुप्त सूचना देने वाले का नाम क्यों नहीं खोल रही है. अगर पुलिस अफसर खुद गांजा तस्कर से मिलीभगत कर कहानी प्लाट किया तो तस्करी की एफआइआर में संबंधित अफसर का नाम भी जुट सकती है. निरसा पुलिस को इस झूठी कहानी के लिए बड़ी आर्थिक लाभ हुई है. बंगाल के एक कोल कारोबारी ने मामले में निरसा पुलिस को मोटी रकम दी है. मिली राशि में किन-किन अफसरों को हिस्सेदारी मिली. जब्त की गयी टवेरा किसकी है? टवेरा चोरी की है तो निरसा पहुंचाने वाला कौन शख्स था? निरसा एसडीपीओ मामले में संदीप कुमार और राजीव राय को पकड़ क्यों तीन दिन थाने में रखा था? दोनों पर मामले में बंगाल के एक पुलिस अफसर व एक युवक का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया. दोनों को काफी टॉर्चर भी किया गया.