Chandrayaan 2 Launch, अंतरिक्ष की कक्षा में सफलता पूर्वक पहुंचा

लॉन्चिंग के 17 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा लॉन्च के 48 दिन बाद यान चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा देशभर में खुशी की लहर नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 को लॉन्च कर दिया. चंद्रयान -2 को लेकर 'बाहुबली' रॉकेट (GSLV MK-3) सोमवार की दोपहर 2.43 मिनट पर श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ. रॉकेट ने चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचा दिया है. प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद ही यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया. चंद्रयान-2 पृथ्वी का एक चक्कर कम लगायेगा लॉन्चिंग की तारीख एक हफ्ते आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चांद पर तय तारीख 7 सितंबर को ही पहुंचेगा. इसे समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय शेड्यूल के हिसाब से काम कर सकें. समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगायेगा. पहले पांच चक्कर लगाने थे, पर अब चार चक्कर लगायेगा. इसकी लैंडिंग ऐसी जगह तय है, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा है. रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू होगी. लैंडर-रोवर को 15 दिन काम करना है, इसलिए समय पर पहुंचना जरूरी है. गौरवशाली इतिहास का खास पल: पीएम पीएमनरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-2 लॉन्चिंग पर कहा कि यह देश के गौरवशाली इतिहास का सबसे खास पल बनेगा. यान की कामयाब लॉन्चिंग वैज्ञानिकों की अथक मेहनत और 130 भारतीयों की इच्छाशक्ति के कारण हुई. यह विज्ञान के नए आयाम खोलेगा. आज हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा होगा. स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम आगे बढ़ाने के लिए इसरो को बधाई: राष्ट्रपति
श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है. भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए @ISRO के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई. मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’, नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे. President of India ✔ @rashtrapatibhvn
चंद्रयान-2 अब से लगभग 50 दिनों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरने वाला पहला अंतरिक्ष-यान होगा. आशा है यह मिशन नई खोजों को जन्म देगा और हमारी ज्ञान प्रणालियों को समृद्ध करेगा. मैं चंद्रयान-2 टीम की सफलता की कामना करता हूँ — राष्ट्रपति कोविन्द. 3,048 3:28 pm - 22 जुल॰ 2019
चंद्रयान-2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग पर इसरो के चीफ के सिवन ने कहा कि हमने चंद्रयान-2 की तकनीकी दिक्कत दूर कर इस मिशन को अंतरिक्ष में भेजा. इसकी लॉन्चिंग हमारी सोच से भी बेहतर हुई है. चांद की तरफ भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत हुई. चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. उन्होंने कहा कि अभी टास्क खत्म नहीं हुआ है. हमें अपने अगले मिशन पर लगना है. अभी रॉकेट की गति बिल्कुल सामान्य है. सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से ही चल रहा है. दोनों एस- 200 रॉकेट्स चंद्रयान-2 से अलग हो गये हैं.इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 की लैंडिंग के अखिरी के 15 मिनट सबसे महत्वपूर्ण होंगे, जब लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला होगा. उन्होंने कहा कि मिशन पूरी तरह से कामयाब सबित होगा और चंद्रमा पर नई चीजों की खोज करने में सफल रहेगा. चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी थी. इस रॉकेट को स्थानीय मीडिया से 'बाहुबली' नाम मिला. 640 टन वजनी रॉकेट की लागत 375 करोड़ रुपये है. चंद्रयान-2 मिशन क्या है? चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है. इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था. चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा. यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी. भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जायेगा. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे? चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है. ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके. लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे. लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं. रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगायेगा. इस रॉकेट ने 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरी. चंद्रयान-2 की कुल लागत 603 करोड़ रुपये है. अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव की निर्धारित जगह पर उतरेगा. अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है. भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था. यह एक ऑर्बिटर अभियान था. ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था. चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है. चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं-ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है. रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञान. चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर-रोवर अपने ऑर्बिटर से अलग हो जायेंगे. लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरेगा. लैंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग होकर अन्य प्रयोगों को अंजाम देगा. लैंडर और रोवर के काम करने की कुल अवधि 14 दिन की है. चांद के हिसाब से यह एक दिन की अवधि होगी. वहीं ऑर्बिटर सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा.