बिहार: 'ठीके तो है नीतीश कुमार' के बदले 'बिहार जो है बीमार', जेडीयू-आरजेडी के बीच पोस्टर वॉर

  • जेडीयू ने पोस्टर जारी किया था जिसमें नारा था- 'क्यों करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार
  • आरजेडी ने जवाब में अपने पोस्टर लिखा है, 'क्यों न करें विचार, बिहार जो है बीमार
पटना: बिहार में सत्ताधारी पार्टी जेडीयू ने सोमवार को पोस्टर जारी किया था जिसमें नारा था- 'क्यों करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार.' जेडीयू के पोस्टर के बाद विपक्षी दल आरजेडी ने अपने पोस्टर में जेडीयू के स्लोगन पर पलटवार कहते हुए लिखा है, 'क्यों न करें विचार, बिहार जो है बीमार.' आरजेडी ने भी पटना स्थित अपने ऑफिस के बाहर लगाये गये पोस्टर में लिखा है बिहार की कानून-व्यवस्था, चमकी बुखार, सूखे और बाढ़ को लेकर सरकार पर निशाना साधा. आरजेडी ने अपने ऑफिसियल ट्विटर से भी जेडीयू के नए पोस्टर पर निशाना साधते हुए कई ट्वीट किये हैं. एक ट्वीट में लिखा है, 'बिहार ने कर लिया विचार नहीं चाहिए अपने मुंह मियां मिट्ठू कुमार.' एक अन्य ट्वीट में लिखा है, 'अपने आप ही करो तुम विचार, संन्यास लेकर जाओ तिहाड़.' जेडीयू ने सोमवार को पटना स्थित पार्टी ऑफिस के बाहर विधानसभा चुनाव की तैयारियों का का संकेत देते हुए दो पोस्टर लगाये थे. पोस्टर में नीतीश कुमार की गाल पर हाथ रखे मुस्कुराते हुए फोटो हैं. फोटो के बगल में बगल में लिखा है- 'क्यों करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार.' आरजेडी का पलटावार, ठीके तो है का मतलब- कामचाऊ आरजेडी का कहना है कि जेडीयू के पोस्टर से नीतीश कुमार की स्थिति समझी जा सकती है. पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, 'ठीके तो है मतलब कामचलाऊ है, समझौता है, मजबूरी है, होगी किसी की मजबूरी. बिहारी समझौता नहीं करेंगे, दूरदर्शी सर्वप्रिय कर्मठ युवा चुनेंगे.' जेडीयू के दूसरे पोस्टर में लिखा है- 'सच्चा है, अच्छा है, चलो नीतीश कुमार के साथ चलें.' इस पोस्टर में बिहार जेडीयू प्रसिडेंट व राज्यसभा एमपी आरसीपी सिंह की भी फोटो लगी है. पोस्टर से स्पष्ट हो गया है कि जेडीू की ओर से नीतिस कुमार की बिहार में एक बार फिर सीएम का चेहरा होंगे. 2015 का नारा था- बिहार में बहार है वर्ष 2015 में बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है' के नारे के दम पर नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव जीता था, इस बार उसमें बदलाव किया गया है. यह नारा जनता को कितना पसंद आता है, यह चुनाव के बाद ही पता चलेगा. नीतीश सरकार के स्लोगन को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है और साथ ही बिहार में कानून-व्यवस्था में सवाल उठ रहे हैं.