बिहार:एक इंजीनियर 30 साल से तीन-तीन जगह कर रहा था गर्वमेंट सर्विस, प्रमोशन लेकर जूनियर से असिस्टेंट इंजीनियर भी बन गया

  • पोल खुलते ही हो गया फरार
  • किशनगंज, सुपौल और बांका जिले में एक साथ कर रहा था नौकरी
  • किशनगंज पुलिस स्टेशन में एफआइआर
किशनगंज: बिहार में सुरेश नाम का एक इंजीनियर पिछले 30 साल से एक साथ तीन जिलों में तीन-तीन गर्वमेंट सर्विस कर रहा था.सुरेश राम तीन जिलों के दो विभागों के तीन पदों पर एक साथ नौकरी कर तीनों जगहों से हर माह वेतन भी ले रहा था.गर्वमेंट की पेमेंट देने की नयी व्यवस्था सीएफएमएस सुरेश की जालसाजी का खुलासा हो गया.अब खुलासा होने के बाद सुरेश राम ने जहां-जहां नौकरी की और वेतन उठाया,उन तीनों जगहों पर उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गयी. मामले का खुलासा होने व एफआइआर दर्ज होते ही सुरेश राम फरार हो गया है. किशनगंज बिल्डिंग डिवीजन में सुरेश राम असिस्टेंट इंजीनियर के पोस्ट पर पोस्टेड था. सुपौल में वह जल संसाधन विभाग के पूर्वी तटबंध भीमनगर में तथा बांका में जल संसाधन विभाग में अवर प्रमंडल बेलहर में भी असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में कार्यरत था.सुरेश जल संसाधन विभाग पटना में भी नौकरी की.वह इस तरह तीन विभागों में तीन बार वो नियुक्त हुआ और प्रोमोशन भी लिया.मामले का खुलासा होने पर राज्य सरकार के उपसचिव चंद्रशेखर प्रसाद सिंह ने सुरेश राम के खिलाफ किशनगंज पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. किशनगंज में एफआईआर होने के बाद से वह फरार है. सीएफएमएस सिस्टम से हुआ खुलासा सीएफएमएस वित्तीय प्रबंधन का एक नया तरीका है,जिसमें सॉफ्टवेयर से विभाग और संगठन अपनी आय, व्यय और संपत्ति का प्रबंधन करता है.नई व्यवस्था लागू होने से वित्त विभाग को सारी जानकारी समय-समय पर उपलब्ध होगी. सॉफ्टवेयर से महालेखाकार कार्यालय और रिजर्व बैंक को भी जोड़ा गया है जिससे ई-बिलिंग की शुरुआत भी हो गई .इस सिस्टम से योजना के लिए दी जाने वाली राशि और खर्च में पारदर्शिता लाई जायेगी तो वहीं, देयता को ट्रैक करने में सुविधा के साथ-साथ आय-व्यय, बहु बैंकिंग एकाउंट व्यवस्था और सभी दस्तावेजों को अपडेट किया जाता है.इस सॉफ्टवेयर में बिहार के सभी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और अन्य कार्यो के लिए आधार कार्ड, जन्मतिथि और अन्य जानकारी डाली जाती है. सुरेश राम का रिकार्ड डाला गया तो मामले का खुलासा हुआ कि तीन विभाग में एक ही नाम,जन्मतिथि से एक ही व्यक्ति कार्यरत है. किशनगंज बिल्डिंग डिवीजन के एक्सक्यूटिव इंजीनियर मधुसूदन कुमार कर्ण का कहना है कि उपसचिव द्वारा मिले पत्र में सुरेश राम को सारे दस्तावेज के साथ बुलाया गया था.वह 22 जुलाई को शैक्षणिक कागज छोड़कर सारे कागज लेकर गया.सुरेश को 22 जुलाई को सिंचाई विभाग में सारे कागज लेकर आने को कहा गया लेकिन सुरेश राम वहां नहीं गया और तब से वो लगातार फरार है. पहली नौकरी वर्ष 1988 में पटना बिल्डिंग डिवीजन में की सुरेश को पहली नौकरी 1988 में पटना बिल्डिंग डिवीजन के जूनियर इंजीनियर के पोस्ट पर मिली. सुरेस को एक साल बाद जल संसाधन विभाग पटना से ज्वाइनिंग के लिए लेटर आया तो उसने वहां भी नौकरी कर ली.जल संसाधन विभाग से ज्वाइनिंग का तीसरी लेटर आया तो वहां भी नौकरी करने लगा. सुरेश राम विभागों में 3 बार ज्वाइन किया और प्रमोशन भी लिया.