धनबाद: ईसीएल कर्मी को गांजा तस्करी में निरसा पुलिस ने भेजा जेल, पत्नी ने झारखंड-बंगाल के सीएम से की शिकायत, खतरे में इंस्पेक्टर की गर्दन

  • बंगाल के एक एसडीपीओ व कोल माफिया की मिलीभगत से एफआइआर करने का आरोप
  • पत्नी ने की सीएम व डीजीपी से इंस्पेक्टर उमेश प्रसाद सिंह की कंपलेन की
  • हड़बड़ी में एफआइआर व कार्रवाई से पुलिस की खुली पोल
  • हाई लेवल जांच से इंस्पेक्टर की कारगुजारी का हो सकता है खुलासा
धनबाद: पुलिस इंस्पेक्टर सह निरसा पुलिस स्टेशन के ओसी उमेश प्रसाद सिंह पर पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिला, राजनगर थाना के आबाद नगर निवासी ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को षड्यंत्र के तहत गांजा तस्करी में जेल भेजने का आरोप लगा है. हालांकि जांच होने पर इंस्पेक्ट की गर्दन फंस सकती है. मामले में निरसा पुलिस स्टेशन केस नंबर 179/19 के दहत दर्ज केस में चिरंजीत घोष व टवेरा मालिक तथा ड्राइवर के साथ दो अन्य अननोन एक्युज्ड भी है. बंगाल जेल की पुलिस कांस्टेबल व चिरंजीत की पत्नी श्रावणी सेवाती ने बंगाल सीएम, झारखंड सीएम, होम सेकरेटरी, डीजीपी व एसएसपी को कंपलेन कर मामले की जांच कर न्याय की गुहार लगायी है. श्रा‍वणी ने बंगाल के एक एसडीपीओ, कोल माफिया तथा निरसा पुलिस इंस्पेक्टर के साथ अन्य पुलिस अफसरों पर षडयंत्र कर पति को झूठे केस में फंसाने का आरोप लगायी है. जेल में बंद अपने पति के न्याय के लिए श्रावणी पुलिस अफसरों से गुहार लगाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है. क्या है मामला इंस्पेक्टर उमेश प्रसाद सिंह की ओर से निरसा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआइआर के अनुसार उन्हें 25 अगस्त की रात 12 बजकर 10 मिनट पर गुप्ता सूचना मिली कि पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिला, राजनगर थाना के आबाद नगर निवासी ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष टवेरा गाड़ी में भारी मात्रा में अवैध रुप से गांजा लेकर बंगाल से धनबाद की ओर आ रहा है. निरसा ओसी ने स्टेशन डायरी में सूचना को अंकित किया. सूचना से सीनीयर अफसरों को अवगत कराया. सूचना सत्यापन के लिए निरसा पुलिस स्टेशन के सामने एनएच-2 पर खुद, एक सब इंस्पेक्टर, एक एएसआइ, एक हवलदार व एक कांस्टेबल के साथ बंगाल से धनबाद आनेवाली लेन में वाहनों की चेकिंग शुरु की. सीनीयर अफसर के आदेश के आलोक में एसडीपीओ निरसा विजय कुशवाहा भी मौके पर सहयोग में पहुंचे. बंगाल जेल की पुलिस है. एसडीपीओ के निर्देशन निरसा ओसी व अन्य पुलिसकर्मी चेकिंग कर रहे थे. इसी बीच डेढ़ बजे बंगाल की ओर से आ रही काला रंग की टवेरा को रोकने का इशारा किया तो ड्राइवर तेजी से भागने लगा. पीछा करने पर ड्राइवर व उसमें सवार लोग देवियाना मोड़ पर गाड़ी खड़ी कर भाग गये. इंस्पेक्टर उमेश ने अपने बयान में लिखा है कि टवेरा की जांच शुरु हो गयी. काफी प्रयास के बाद भी कोई स्वतंत्र गवाह नहीं मिला. तलाशी के दौरान टवेरा के डिक्की से झोला व एक बोरा में छह पैकेट जांच मिला. मौके पर इलेक्ट्रानिक तराजू मंगवाकर सभी पैकेट की वजन करायी गयी तो कुल 39 किलो तीन सौ ग्राम गांजा हुआ. इसी आधार पर गंजा तस्करी व्यापार करने के मामले में चिरंजीत घोष, टवेरा मिलक व चालक तथा देो अननोन के खिलाफ निरसा पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज की गयी. पुलिस ने कथित रुप से फरार चिरंजीत घोष को 4 सितंबर को तड़के अरेस्ट कर धनबाद जेल भेज दिया. पत्नी की गुहार चिरंजीत की पत्नी बंगल जेल पुलिस की कांस्टेबल श्रावणी सेवीत ने सीएम व डीजीपी समेत अन्य पुलिस अफसरों को दिये गये आवेदन में कहा है कि उसके पति के खिलाफ गांजा तस्करी का झूठा व मनगढ़ंत आरोप लगाया गया है. बंगाल के एक एसडीपीओ ने अपनी प्रभाव व पहुंच का इस्तेमाल कर बंगाल के कोल माफियओं व निरसा थाना प्रभारी उमेश प्रसाद सिंह तथा कुछ पुलिस अफसर से मिलकर सुनियोजित तरीके से मेरे पति को परेशान करने के लिए केस में नामजद किया है. श्रावणी का आरोप है कि बंगाल का एक एसडीपीओ उससे शारीरिक संबंध स्थापित करना चाहते हैं. इसकी लिखित कंपलेन बंगाल के सीएम को छह जून व तीन जुलाई को की जा चुकी है. पति चिरंजीत इसीएल की झाझरा प्रोजेक्ट में नौकरी करते हैं. वह जेल पुलिस में नौकरी करती है. श्रावणी का आरोप है कि बंगाल के उक्त एसडीपीओ शादी से पूर्व भी उसे शारीरिक व मानसिक रुप से प्रताड़ित करते थे. वर्ष 2018 में उसकी शादी चिरंजीत से हो चुकी है. शादी के बाद भी एसडीपीओ उससे संबंध रखना चाहते हैं. इनकार करने पर एसडीपीओ ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पिछले 31 दिसंबर को अलीपुर जेल में ट्रांसफर करवा दिया. वह अलीपुर जेल ज्वाइन नहीं की. इसके बाद एसडीपीओ विभिन्न तरीके से उसे व उसके पति को प्रताडित करने लगे. घर आकर धमकी दी कि आर्म्स एक्ट, डकैती व गांजा तस्करी में फंसा देंगे. इसकी कंपलेन भी बंगाल सीएम से की जा चुकी है. श्रावणी का कहना है कि वह या उनके पति कभी धनबाद या झारखंड नहीं गये हैं. उसके पति 25 अगस्त की शाम तक प्रोजेक्ट में ड्यूटी पर थे. पति का मोबाइल लोकेशन व कॉल डिटेल की जांच से सच्चाई सामने आ सकती है. श्रावणी ने अपने पति की मोबाइल कॉल डिटेल भी आवेदन में संलग्न की है. चिरंजीत घोष बंगाल के एसडीपीओ के खिलाफ सीएम को कंपलेन कर चुका है. आरोप है कि एसडीपीओ घर पर आकर पत्नी को तलाक देने को कहा. मारपीट व गाली-गलौज की. प्रोजेक्ट में नौकरी करने जाने के दौरान स्कार्पियो से धक्का मारा गया. अननोन लोग से पीछा करवाया जाता रहा. एसडीपीओ के भय से कई माह से श्रावणी नौकरी पर नहीं जा रही है. पुलिस की भूमिका पर सवाल क्या बिना सत्यापन किये गुप्ता सूचना के आधार पर किसी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जा सकती है? गांजा की गाड़ी के साथ मौके से कोई नहीं पकड़ा गया फिर एफआइआर में नेम्ड एक्युज्ड सिंगल पर्सन को क्यों बनाया गया? पुलिस बिना जांच के ईसीएल में नौकरी करने वाले युवक को सिर्फ एफआइआर के आधार पर कैसे अरेस्ट कर जेल भेजी? पुलिस को किसने सूचना दी, टवेरा में गंजा के साथ चिरंजीत ही था इसके क्या सबूत हैं? क्या निरसा पुलिस के अफसर बंगाल जाकर चिरंजीत को अरेस्ट करने लिए डीआइजी से लिखित आदेश लिये थे? क्या चिरंजीत की मोबाइल कॉल डिटेल की जांच की गयी? क्या चिरंजीत पेशेवर गांजा तस्कर है, उसका कोई क्रिमिनल रिकार्ड है क्या? केस में जेल भेजने से चिरंजीत के खिलाफ पुलिस को क्या सबूत मिले?