धनबाद: बैकफुट पर पुलिस,निरसा गांजा तस्करी केस में कोर्ट में सौंपी नो एवीडेंस रिपोर्ट,बंगाल का ईसीएल कर्मी चिरंजीत 27 दिन बाद जेल से निकला

धनबाद:  इंस्पेक्टर सह निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह की पोल खुल गयी. निरसा थानेदार ने 25 अगस्त की रात देवियाना मोड़ से 40 किलो गांजा लदी पकड़ी गयी टवेरा गाड़ी के मामले में बीरभूम जिला के राजनगर पुलिस स्टेशन एरिया के आबाद नगर निवासी ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्कर बताकर जेल भेजने के मामले में अपनी गलती स्वीकार ली है. निरसा पुलिस की ओर से कोर्ट में सौंपी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले में चिरंजीत के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिली है. पुलिस द्वारा कोर्ट में सौंपी गयी रिपोर्ट के बाद चिरंजीत को रिहा कर दिया गया है.कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर जेल में बंद चिरंजीत को रिहा करने का आदेश जारी किया.कोर्ट के आदेश पर चिरंजीत मंगलवार की शाम जेल से निकल गया. निरसा एसडीपीओ विजय कुशवाहा व थानेदार उमेश प्रसाद सिंह जेल से ही अपनी गाड़ी में बैठकर चिरंजीत को उसेक वकील के साथ देर शाम एसएसपी आवास से ले गये. एसएसपी व रुरल एसपी ने चिरंजीत से बातचीत की. बातचीत के दौरान चिरंजीत के वकील को बाहर ही रखा गया था. पुलिस अफसरों ने चिरंजीत को कहा कि गलती हो गयी थी. पुलिस से गलती हो गयी थी. गलत सूचना पर कार्रवाई हो गयी. पुलिस ने अपनी गलती सुधार दी और तुम जेल से निकल गये. मामले में अब कुछ नहीं होगा. पुलिस के खिलाफ कहीं कंपलेन नहीं करनी है. पुलिस पर केस नहीं करनी है. बंगाल में भी कोई परेशानी होगी तो मदद करेंगे. चिरंजीत को मिठाई खिलाया गया. संदीप को मोहरा बनाने की कोशिश नाकाम पुलिस मामले में बस्ताकोल निवासी संदीप सिंह नामक युवक को मोहरा बनाना चाह रही थी. संदीप को दो दिनों से पुलिस कस्टडी में रख गलत बयान दिलवाना चाह रही थी. निरसा थानेदार व एसडीपीओ संदीप पर दबाव दे रहे थे कि वह स्वीकार करें कि चिरंजीत के गांजा तस्कर होने की सूचना उसने पुलिस को दी थी. पुलिस संदीप को लेकर सोमवार को 164 का बयान दर्ज कराने कोर्ट पहुंची थी. कोर्ट संदीीप का बयान दर्ज करने से इनकार कर दी थी. पुलिस यह बहाना बनाना चाह रही थी कि संदीप की गलती के कारण वह चिरंजीत के खिलाफ केस दर्ज की और जेल भेज दी. बताया जाता है कि संदीप कोल कोराबारी है. संदीप ने निरसा एसडीपीओ को चिरंजीत का एड्रेस उपलब्ध कराया था. संदीप ने एसडीपीओ के व्हाट्सएप पर मैसेज दिया था. यह मैसेज चिरंजीत के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद का है. निरसा पुलिस संदीप को सेमवार की देर रात पीआर बांड छोड़ दी थी. किसने दी थी पुलिस को बंगाल से गांजा आने की गुप्त सूचना अब पुलिस इस बात को छुपा रही है कि उसे किसने गांजा तस्करी की गुप्ता सचना दी. निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह को किसने फोन पर या मिलकर कहा था कि टवेरा गाड़ी से बंगाल से चिरंजीत घोष गांजा लेकर धनबाद की ओर आ रहा है.निरसा थानेदार के नेतृत्व में पुलिस 24-25 अगस्त की रात गांजा लदी टवेरा पकड़ी लेकिन उसमें सवार लोग भाग गये. पुलिस बीरभूम जिला के राजनगर पुलिस स्टेशन एरिया के आबाद नगर निवासी ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को को नेम्ड एक्युज्ड बनाते हुए एफआइआर दर्ज की. पुलिस चार सितंबर को चिरंजीत को घर से अरेस्ट कर जेल भेज दी. गांजा तस्करी की यह झूठी कहानी पुलिस के गले की फांस बन गयी.पुलिस इंस्पेक्टर सह निरसा पुलिस स्टेशन के इंचार्ज उमेश प्रसाद सिंह द्वारा बंगाल के एक एसडीपीओ व कोल माफिया से मिलीभगत कर ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी में जेल भेजने का मामला दोनों स्टेट की पुलिस चीफ तक पहुंच चुका है. मामला पुलिस हेडक्वार्टर ही नहीं सरकार व मानवाधिकार आयोग तक भी पहुंच गया है. चिरंजीत की वाइफ बंगाल जेल पुलिस की कांस्टेबल श्रावणी सेवीत पहले ही बंगाल के एक एसडीपीओ की कंपलेन सीएम ममता बनर्जी समेत अन्य से लिखित रुप से की थी. एसडीपीओ पर मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का आरोप है.चिरंजीत की पत्नी झारखंड के सीएम,डीजीपी, आइजी, एसएसपी समेत अन्य लोगों को भी पहले ही कंपलेन कर चुकी है.आरोप है कि बंगाल का एसडीपीओ चिरंजीत की वाइफ से गलत संबंध बनाना चाहता है. इनकार करने पर महिला व उसके पति को परेशान किया जा रहा है.एसडीपीओ ने अपने प्रभाव से बंगाल जेल पुलिस में कार्यरत चिरंजीत की पत्नी को वर्दमान से अलीपुर ट्रांसफर करवा दिया है. कंपलेन के बाद बंगाल में एसडीपीओ के खिलाफ जांच शुरु हो गयी है. बताया जाता है कि एसडीपीओ का ट्रांसफर भी कर दिया गया है. मामला हाई कोर्ट  ले जाने की तैयारी उल्लेखनीय है कि निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह ने गुप्त सूचना के आधार पर 25 अगस्त की रात गांजा लदी एक बंगाल नंबर की टवेरा जब्त करने व उसमें सवार चिरंजीत समेत अन्य के भाग जाने के आरोप में केस दर्ज की है. मामले में गुप्त सूचना का आलोक में चिरंजीत को न सिर्फ एक्युज्ड बनाया गया बल्कि चार सितंबर को अरेस्ट कर जेल भी भेज दिया गया. निरसा इंस्पेक्टर ने चेकिंग के दौरान एसडीपीओ विजय कुशवाहा की भी मौजुदगी बतायी है.आरोप कि इंस्पेक्टर ने बंगाल के एक कोल माफिया से बड़ी आर्थिक लाभ लेकर इसीएल स्टाफ के खिलाफ गांजा तस्करी की केस कर जेल भेज दिया. इस मामले में ऊपर से नीचे तक के अफसर फंस रहे थे.पुलिस अफसर अपनी गर्दन बचाने के लए अब ईसीएल कर्मी को क्लिनचीट दे दी है.अब सवाल उठता है कि निरसा थानेदार व एसडीपीओ की फोन पर किसने गांजा की सूचना दी थी यह राज कौन बतायेगा. हलांकि अब यह मामला पीड़ित पक्ष की ओर से मानवाधिकार व हाई कोर्ट तक जानेवाला है.आरोप है कि डीएसपी व थानेदार ने बंगाल को कोल माफिया से मोटी रकम लेकर गांजा तस्करी की स्टोरी प्लांट की थी.क्या किसी बेकसूर को जेल भेजकर पुलिस बाद में फिर कोर्ट में साक्ष्य की कमी बताकर अपनी गर्दन बचा सकती है. इस गंभीर आरोप के बावजूद निरसा पुलिस स्टेशन इंचार्ज उमेश प्रसाद सिंह के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं होना चर्चा का विषय बना हुआ है.