बोकारो: नसबंदी के 10 साल बाद पिता बने बबलू, बीजीएच के डॉक्टर अनिंदो मंडल का कमाल

बोकारो:बोकारो जेनरल हॉस्पीटल के प्लास्टिक सर्जन अनिंदो मंडल के सफल ऑपरेशन से नसबंदी के 10 साल बाद बबलू शर्मा को पिता बनने का सौभाग्य हासिल हुआ है.40 वर्षीय बबलू व उनकी पत्नी के लिए यह सपने जैसा है. बोकारो जोशी कॉलोनी निवासी बबलू एक दवा दुकान में काम करते हैं. बबलू की शादी 2005 में हुई थी. बबलू साल 2006 में एक लड़की और 2008 में एक बेटा हुआ. बबलू ने बीजीएच में नसबंदी करा ली. साल 2015 में बबलू का बेटा ब्लड कैंसर का शिकार हो गया और 2017 में उसकी मौत हो गई. अपने दोस्तों की सलाह पर बबलू बीजीएच के डॉ. अनिंदो मंडल से मिला. डा मर्डल ने बबलू की सर्जरी की.इसके बाद अब बबलू फिर से एक बेटी का पिता बन गया है. बबलू की पत्नी वीणा शर्मा ने पुत्री को जन्म दी है. डॉ. मंडल का यह दूसरा सफलतम ऑपरेशन है.डा मंडल ने केवल पुरुष नसंबदी के बाद उनके नस को जोड़ने का काम के साथ तीन ऐसी महिलाओं को भी ठीक किया है, जो कि बंध्याकरण कराने के बाद फिर से संतान प्राप्ति के लिए परेशान थीं.वास रिवर्सल नामक आपरेशन के बाद पिता बने बबलू की नसबंदी सुधारने वाली माइक्रो सर्जरी एक साल पहले प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर आनंद मंडल और उनके टीम ने की.डॉ अनिंदो मंडल का कहना है कि इस ऑपरेशन पर 25 से 35 हजार के बीच खर्च होता है.उन्होंने अब तक दो पुरुष तथा दो महिलाओं का ऑपरेशन किया है. इनमें से एक पुरुष और दो महिलाओं का आपरेशन कामयाब रहा है.ऑपरेशन की सफलता का नसबंदी एवं बंध्याकरण के समय किए गये आपरेशन पर भी निर्भर करता है.यदि नसों को जड़ के बजाय बीच से काटा जाय तो फिर से उन्हें जोड़ना आसान होता है. नसबंदी स्थायी गर्भनिरोधक उपाय के रूप में टयूब काटा जाता है. जिसे वापस माइक्रो सर्जरी कर जोड़ दिया जाता है.टयूब की चौड़ाई लगभग एक मोटे बाल के बराबर होती है.जो काफी सूक्ष्म होती है.ऑपरेशन के बाद पुरुष एवं स्त्री संतान पैदा करने योग्य हो जाते हैं.