Ayodhya Case:सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला,विवादित भूमि पर राम मंदिर बनेगा,मस्जिद के लिए दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 70 साल से कानूनी विवाद में उलझे अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना फैसला सुना दिया है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित भूमि को रामजन्म भूमि न्यास को सौंपने और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में ही किसी दूसरे स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने खुद लगभग 45 मिनट में पूरे फैसले को पढ़ा. कोर्ट ने सेंट्रल गर्वमेंट को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर ट्रस्ट की स्थापना करे और विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे.कोर्ट ने अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मस्जिद का निर्माण भी किसी प्रतिष्ठित जगह पर ही होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाए, हालांकि इसका कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले राम चबूतरा, सीता रसोई पर हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती थी. अभिलेखों में दर्ज साक्ष्य से पता चलता है कि हिंदुओं का विवादित भूमि के बाहरी हिस्से पर कब्जा था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित भूमि को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक बताते हुए कहा कि विवादित स्थल पर रामलला के जन्म के पर्याप्त साक्ष्य हैं . अयोध्या में भगवान राम का जन्म हिंदुओं की आस्था का मामला है और इस पर कोई विवाद नहीं है. निर्मोही अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या सेवादार नहीं है. निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित . रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि अयोध्या का फैसला लोगों की जीत है. सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन फैसले में कई विरोधाभास है, लिहाजा हम फैसले से संतुष्ट नहीं है. हम फैसले का मूल्यांकन करेंगे और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेंगे. निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसका दावा खारिज किये जाने का उसे कोई दु:ख नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की बेंच इस मुकदमें की 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद गत 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रमुख बिंदु रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगी विवादित जमीन: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन का हक रामजन्मभूमि न्यास को देने का आदेश सुनाया है. मुस्लिम पक्ष यानि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही दूसरी जगह जमीन देने का आदेश दिया है. मुस्लिम पक्ष को मिलेगी 5 एकड़ जमीन: सुप्रीम कोर्ट आदेश दिया कि मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन दी जाए. मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिमों को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश दिया है. विवादित जमीन पर रामजन्मभूमि न्यास का हक, जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन किसी दूसरी जगह दी जायेगी. कोर्ट ने केंद्र या राज्य सरकार को अयोध्या में ही उचित स्थान पर मस्जिद बनाने को जमीन देने का आदेश दिया है. मुख्य ढांचा इस्लामी संरचना नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है. हालांकि, मुख्य ढांचा इस्लामी संरचना नहीं थी. सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संदेह से परे है. इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर बने ट्रस्ट: सुप्रीम कोर्ट नेमंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के निमार्ण का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार तीन महीने में स्कीम लाए और ट्रस्ट बनाए. यही ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण करेगा और इसकी निगरानी भी रखेगा. शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े की याचिकाएं खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं.कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने देरी से याचिका दायर की थी. निर्मोही अखाड़ा का दावा केवल प्रबंधन का था. जमीन पर दावा साबित करने में मुस्लिम पक्ष नाकाम: सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि मुस्लिम पक्ष अपना दावा साबित करने में नाकाम रहा है. विवादित स्थल पर मस्जिद होने के प्रमाण भी नहीं मिले. कोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भी यह सामने आया कि मुख्य ढांचा इस्लामी संरचना नहीं थी. 1949 में रखी गईं मूर्तियां: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुसलमानों ने मस्जिद नहीं छोड़ी थी. हालांकि, हिंदू भी राम चबूतरा पर पूजा करते थे.उन्होंने गर्भगृह पर भी स्वामित्व का दावा किया.1949 में मूर्तियां रखी गईं. साक्ष्यों से पता चलता है कि मुस्लिम शुक्रवार को विवादित स्थल पर नमाज पढ़ते थे. भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ:सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की आस्था और उनका विश्वास है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. हिंदुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुआ था. यह व्यक्तिगत विश्वास का विषय है. इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला तार्किक नहीं था:SC का कहना है कि ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बाकी द्वारा बनाई गई थी विवादित जमीन राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी जमीन थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2009 में आया इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया था, तार्किक नहीं था.