Raksha Bandhanपर सात साल बाद पंचांग का शुभ योग, 19 साल बाद भद्रा नक्षत्र का साया नहीं पड़ेगा

धनबाद: देशभर में भाई बहन के प्रेम का पर्व Raksha Bandhan 15 अगस्त को मनाया जायेगा. सावन पूर्णिमा तिथि को मनाये जाने वाले इस पर्व पर इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं. रक्षाबंधन के दिन 19 साल बाद भद्रा नक्षत्र का अशुभ प्रभाव नहीं होगा. सात साल बाद पंचांग का शुभ संयोग बन रहा है. पंचांग की गणना करने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की स्थिति देखी जाती है. तिथि पूर्णिमा, वार गुरुवार, नक्षत्र धनिष्ठा और श्रवण एवं बब व बालव करण रक्षाबंधन के लिए काफी उत्तम फलदायी साबित होगा. इससे पहले वर्ष 2012 में इस प्रकार का पंचांग योग बना था. गुरुवर 15 अगस्त को सूर्योदय से पूर्व ही भद्रा नक्षत्र समाप्त हो जायेगा.सूर्य कर्क राशि में तथा चंद्र मकर राशि में एवं बृहस्पति ग्रह का चार दिन पूर्व ही मार्गी होना अत्यंत दुर्लभ संयोग है. पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 14 अगस्त को दोपहर बाद से 15 अगस्त को 3.58 बजे तक रहेगी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण को सूर्पनखा ने भद्रा मुहूर्त में ही राखी बांधी थी. रावण की मृत्यु एक वर्ष पश्चात ही हो गई थी. यह भी कहा जाता है कि भद्रा में शिव तांडव मुद्रा में रहते हैं जो कि अशुभ फलदायी होता है. इस कारण अन्य वर्षो की भांति भद्रा मुक्त एवं पंचांगनुसार शुभ संयोग है. रक्षा बंधन के दिन बहनें भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र या राखी बाधकर वे भाइयों की दीर्घायु, समृद्धि व खुशी आदि की कामना करती हैं. रक्षा-सूत्र या राखी बाधते हुए इस मंत्रा का उच्चारण करें. येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:. तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल. जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बाधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बाधता हूं. हे रक्षे (राखी), तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना. मुहूर्त पूर्णिमा मुहूर्त प्रात: काल से 3.58 तक रक्षा बंधन मुहूर्त प्रात: 5.45 से सायं 06.01 तक रक्षा बंधन विशेष शुभ मुहूर्त अपराहन 1.43 से सायं 4.20 तक.